राहें उनकी मंजिल तक बनाए रखना
दीदार की ताक में आँखें बिछाए रखना
बात इतनी सी मन में दबाए रखना
उनके इन्तजार में खुद को सजाए रखना
लाख शिकवा हो, निराशाओं को दरकिनार रखना
बोझिल मन को शांत और सहलाऐं रखना
अश्कों को आँखों में ही छुपाए रखना
बात बिगड़े नहीं उसे बनाए रखना
हो जाएगी तसल्ली उनको भी देखकर
आरजू है तुमसे, खुद को संभाले रखना
बेझिझक जब सामना हो जाए उनसे
चन्द लम्हों तक चाँद को ठहराए रखना
बातें कितनी कसीली हो उनकी फिर भी
उनके दामन को आँचल से थामे रखना
दरिया-ए-मुहब्बत में क्यूँ न आए तूफां
कश्ती-ए-इश्क को मौजों से बचाए रखना
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अमरेन्द्र सुमन
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