समय-असमय कुत्ता-बिल्ली
बच्चे हरदम करते तंग
आॅगन में बढ़ जाता पानी
दरिया का जैसे हो अंग
बाजारों में बिकता इज्जत
ग्राहक होते रंग - विरंग
कुछ होते खूब प्यारे-भोले
कुछ होते मूर्ख-उदण्ड
कोर्ट-कचहरी जहाॅं भी देखो
दगाबाजों का बाजार है गर्म
बड़े-बड़े बाबू साहब भी
हो जाते बिल्कुल नीच-बेशर्म
मस्जिदों - मंदिरों में रोज
होता रहता खूब अधर्म
गिरजाघर - गुरुद्वाराओं में
मिलिटेन्सों का चलता है रम
संसद में नेताओं का देखो
भाषण चलता-रहता हरदम
समस्याओं से देश घिरा है
उबारे कौन किसमें है दम ?
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