वह लड़की जो मुझे नहीं चाहती
मैं चाहता रहा पहली मुलाकात के वक्त से अब तक उसे
साफ-साफ स्वीकार कर लेने में कोई हर्ज नहीं
कि उससे मुलाकात से पूर्व तक
सर उठाकर देखना भी अपराध सा था मेरे लिये
आँखें चार नहीं हुई थी किसी अन्य के साथ
हमउम्र दोस्तों के प्रोत्साहन व साहस की वजह से
जिज्ञासाएँ बढ़ती गई धीरे-धीरे उससे बातें करने की
किस्तों में करीब पहुँचने की चाहत लिये
न चाहते हुए भी समय खाने व दिमाग खखोरने वाले
पिता से करनी पड़ी दोस्ती
अवयस्क भाई से फिजूल की बातें
सुननी पड़ी माँ से पड़ोस की औरतों के विरुद्ध
लम्बे दिनों की शिकायतें
जबकि कम समय में जरुरत के मुताबिक बात व
काम करने की तकनीकें थीं हासिल
पूरा का पूरा वक्त घुलता रहा उनके साथ
शामिल में, ईच्छानुसार उनकी
प्रेमी पद उम्मीदवार की कतार में रहा खड़ा समय-असमय
वासना से परे एक लड़की से मिलने वाली तमाम
चल-अचल खुशियों की खातिर
एक लम्बे समय के लिये
लड़कियों को पटाने की सस्ती विधियों का
करता रहा नित्य नूतन प्रयोग
बड़े-बड़े साहित्यकारों के सपाट जीवन में
झाँकने का बारी-बारी से देता रहा गैर जरुरी निमंत्रण उसे
सांकेतिक शब्जबागों की श्रृखला में भी
उसने नहीं खोये अपने धैर्य
चिरौरी करने की कला से रही अनभिज्ञ
और अभी-अभी जब उसके सब्र के बाँध टूटे
खोल दी उसने बीते दिनों की उदासी एक-एक कर
जीवन की कुछ यादगार चुभन से साक्षात्कार कराने
अमरेन्द्र सुमन
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