जमीं से बेहतर तबादले का आसमां होगा
स्ुाुनहले फिक्र की महफिल का आसमां होगा
जिन्दगी को जिन्दगी न समझने से वेपरवाह मौसम
सफर का लक्ष्य अगणित ख्वाबों का आसमां होगा
जहमत ना उठा बीती वारदातों को याद कर
बची उम्र की सलामती का तकदीर आसमां होगा
महफूज रहे कलम की नीवें सिर्फ लिखने तक अपनी
शेष खुशियों का निगेहवां खुद आसमां होगा
अमरेन्द्र सुमन
LEAVE A REPLY