Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आपका हँसना अलग और

 
आपका   हँसना  अलग  और   मुस्कराना  है अलग।
चुपके-चुपके इस  तरह  से  दिल  में आना है अलग।
आपकी  जब   याद  आयी   सब  ख्वाब मीठे हो गए,
दिल्लगी लगी तो अलग थी अब दिल लगाना है अलग।

अमरेश सिंह भदौरिया


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