Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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★अखबार वाला★

 
★अखबार वाला★

सर्दियों की सुबह
घना कोहरा
कप कपाती ठण्ड
एक पुरानी साइकिल
जिसमें टँगा है एक थैला
उस थैले में है.........
जिम्मेदारियों का बोझ
परिस्थितियों की जकड़न
जीने की उत्कट चाह
कामनाओं की विवशता
रिश्तों की मधुरता
पापी पेट की आग
मासूमों की ख्वाहिश
नौनिहालों का उन्मुक्त बचपन
पथराई आँखों के सपने
दाम्पत्य के शुष्क अहसास
सम्बन्धों की संजीवनी
थोड़े-से अरमान
पस्त हौसला
अन्तहीन संघर्ष
घर वापस जाने की विवशता
और............................
सुबह के बचे हुए अखबार
जो बिकने से रह गए
जिसमें छपी हैं
दुनिया भर की खबरें
पर अफसोस
पारदर्शी मीडिया की नजर में 
उसका अपना कहीं नाम नहीं है।

©अमरेश सिंह भदौरिया

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