Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अनाविर्भूत

 
अनाविर्भूत

सुनो!
कुछ महसूस करो
तुम..................
मैं एक अहसास हूँ
तुम्हारे आसपास हूँ
तुम्हारे दिल को
तुम्हारी खुशियों से
भर जाऊँगा...........
बदले में कुछ लूंगा नहीं 
अगर ये आहट तुमने
नही सुनी तो.........
तो मेरा क्या है?
मैं समय हूँ........
ठहर सकता नहीं
एक दिन समय के साथ
मैं गुजर जाऊँगा।
रह जायेंगी
कुछ यादें......
स्मृतियों के
पटल पर......
कुछ बिखरे हुए
और.....
धुँधले हुए
अहसास!
जो तुम्हें देंगे
एक पल के लिए
असीम आनंद की
अनुभूति.....
और......
और भी.......
बहुत कुछ........
अनकहा..........
अनाविर्भूत......!

©अमरेश सिंह भदौरिया

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