मुक्तक
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| Mar 19, 2020, 11:51 AM (20 hours ago) |
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ज्योत्स्ना और जुगनू बस हमसफ़र थे रात भर।
इतने कयास लग रहे हैं क्यों जरा-सी बात पर।
सवालिया-सी आँखों पर त्योरियाँ चढ़ी हैं,
बस्ती में खलबली-सी है क्यों जरा-सी बात पर।
©अमरेश सिंह भदौरिया
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