मुक्तक
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दर्द दिल में था गहरा
मैंने छिपाया नहीं।
तुमने पूछा नहीं
मैंने बताया नहीं।
राज नज़रों का नज़रों ने
है पढ़ लिया,
सच कहूँ आपसे मैंने
पढ़ाया नहीं।
©अमरेश सिंह भदौरिया
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