Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिन घटते गये उम्र बढ़ती गई

 
दिन  घटते  गये  उम्र  बढ़ती  गई।
जिंदगी  इस तरह  से  कटती गई।
नित नए स्वप्न पलकों में आते रहे,
समय की धूल उन पर चढ़ती गई।

©अमरेश सिंह भदौरिया

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