इंतज़ार
सुबह-सुबह गर्म चाय का प्याला पति के हाथ में देते हुए मीरा ने कहा___कल रात की बात का मुझे बहुत अफसोस है____मैंने आपका कहना नही माना____आपको अपनी खुशी के लिए मैंने परेशान किया___ आज मेरा पूरा शरीर टूट रहा है____कमर में भी बहुत दर्द है। मुकेश ने चाय की सुड़की ली, ये क्या आज फिर इतनी मीठी चाय ___तुमसे हज़ार बार मैंने कहा कि मेरा सुगर लेवल पहले ही इतना बढ़ा हुआ है और उस पर इतनी मीठी चाय…..ये तुम्हारा रोज-रोज का नाटक __इससे मैं तंग आ गया हूँ। मीरा ने चाय का प्याला लेते हुए कहा कोई बात नहीं, ये चाय मैं पी लूँगी, आपके लिए मैं दूसरी बना लाती हूँ, वह रसोई में चाय बनाने चली गयी।मुकेश के स्वभाव में आजकल कुछ चिड़चिड़ापन बढ़ गया था, इस बात को लेकर वह बड़ा चिंतित-सा रहने लगा था। वह समझ नही पा रहा था कि ये बढ़ती उम्र का प्रभाव है या कोई मानसिक रोग है। मुकेश अकेला ही था, पर बहने पाँच थी, तीन बड़ी और दो छोटी। सभी का विवाह पिता जी ने अपनी सामर्थ्यानुसार कर दिया था। वो भी किसी से कोई कर्ज लिए बिना, जो उस समय बहुत बड़ी बात थी, सिर्फ खेती की आमदनी से पाँच बेटियों की पढ़ाई-लिखाई और सबकी शादी-विवाह साथ ही मुकेश की पढ़ाई उसका विवाह, अपने अकेले दम पर। इतना सब कुछ करते हुए बाबू जी का पूरा जीवन खप गया, बुढ़ापे के लिए उनके पास अब बेटे (मुकेश) का ही सहारा था। सभी बेटियाँ अपने-अपने घर-गृहस्थी में बहुत खुश थी, जब तक माता जी जीवित रहीं सभी बेटियों का साल में एक दो बार आना-जाना हो जाता था। माता जी अब नहीं हैं, उनके स्वर्गवास को लगभग दस वर्ष बीत गए। माता जी के न रहने पर गृहस्थी की चाभी मीरा के हाथ में आ गयी है, जिससे मुकेश की बहनों या यूँ कहें कि मीरा की ननदों का अपने पीहर से नाता टूट गया है। पिता जी अभी हैं, किन्तु पिछले तीन वर्ष से बिस्तर पर। पिता जी की आयु तिरान्नबे वर्ष की है, उनका खाना-पीना, टट्टी पेशाब सब बिस्तर पर ही होता है। बहनों के शादी-विवाह के कारण मुकेश के विवाह में कुछ विलम्ब हो गया था। लोक उक्ति है कि इंतज़ार का फल मीठा होता है, ये बात मुकेश के हिस्से में बिल्कुल सही थी, अंतर सिर्फ इतना था कि पत्नी (मीरा) की उम्र मुकेश से दस वर्ष कम थी। विवाह के समय मुकेश अपने से कम उम्र की पत्नी पाकर बहुत खुश हुआ था। मीरा बहुत सुंदर थी, औसत कद…..कमसिन उम्र…..गोरा रंग…..छरहरी काया…..नाभि पर काले रंग के तिल का निशान …..घड़े के आकार की कमर…..स्वभाव में स्वाभाविक फुर्तीलापन सब कुछ तो था। ज्योतिष यह कहता है कि जिस रमणी के नाभि पर तिल का निशान होता है वह अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक कामुक होती है, उसकी इच्छाओं को तृप्त कर पाना पति के लिए दाम्पत्य जीवन की सबसे बड़ी चुनौती होती है। इस बात में बिल्कुल सच्चाई थी।मुकेश अकेले होने के कारण और मीरा की मादक सुंदरता के मोह में पड़कर कभी घर से बाहर (परदेश) जाने की नहीं सोच पाया। मुकेश की तीन संताने थी, एक लड़की दो लड़के, लड़की बड़ी थी जिसका नाम सना था, उसका विवाह दो वर्ष पहले बड़ी अच्छी जगह हो गया था, लड़का (दामाद) पुलिस में था, इसलिए शादी में दहेज अधिक देना पड़ा था। सना के विवाह में मुकेश को बहुत भटकना पड़ा, बड़ी मुश्किल से ये संबंध मीरा की बड़ी बहन और बहनोई के सहयोग से हो पाया था। उनके कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने सना की शादी में खूब बढ़-चढ़कर खर्च किया था, सना की शादी में आये हुए अधिकांश बाराती तो यही समझ रहे थे कि लड़की के असली माता-पिता यही हैं। इस बात को लेकर बाबू जी नाराज़ रहते हैं कि मैंने अपनी पाँच बेटियों की शादी की और कभी किसी के आगे अपना हाथ नहीं फैलाया। एक तुम (मुकेश) हो कि एक बेटी के शादी करने में तुम्हें रिश्तेदारों के आगे हाथ फैलाने पड़े। तुम्हारे ऐसा करने से बिरादरी में मेरी साख पर बट्टा लग गया। इतना कहते-कहते बाबू जी की आँखें भर आयीं। “बचपन कभी लौटकर नहीं आता, जवानी जाते देर नहीं लगती, और बुढ़ापा काटे नहीं कटता।” मुकेश के चेहरे पर बढ़ती उम्र का प्रभाव साफ नज़र आने लगा है, बढ़ती उम्र दांपत्य जीवन को प्रभावित करती है। ये बात मुकेश तो अच्छी तरह समझ चुका था…..किन्तु मीरा को इस बात का आभास नही हुआ था। उसका मन अभी मौज-मस्ती की परिधि से बाहर नहीं निकल पाया था। या यूँ कहें कि बुझते समय दीपक की लौ कुछ तेज हो जाती है यह उक्ति मीरा के विषय में पूर्णतया सच थी। ” बढ़ती उम्र …..घटता पौरुष…..क्षरित होता सौंदर्य …..अतृप्त इच्छायें…..आर्थिक दबाव और पति-पत्नी में आयु का अंतर ये सब मिलकर दांपत्य जीवन की मधुरता को शनैः-शनैः समाप्त कर देते हैं।” मुकेश के बड़े लड़के का नाम सुमित है, वह दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। घर की सभी जिम्मेदारियों का भार उसी के कंधों पर है। “जिम्मेदारियाँ व्यक्ति को समय से पहले बड़ा कर देती हैं।” ये बात सुमित छात्र जीवन में रहते ही समझ चुका था। मुकेश की जो तीसरी संतान है, वह संतान के नाम पर कलंक है। उसका नाम अनिकेत है, जो दिनभर इधर-उधर आवारागर्दी में घूमता रहता है। उसका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता, और न घर का ही कोई काम-धाम सही से देखता है। मुकेश की परेशानी का कारण एक ये भी है अनिकेत का कुछ न करना। एक दो बार उसको दिल्ली भेजा गया, किन्तु वह महीने दो महीने में घूम फिर कर वापस घर लौट आया। अभी तक घर में सभी सो रहे थे, सुमित कल रात में आ गया था, वह भी अभी सोया हुआ है। मीरा ने एक दो बार आवाज़ लगाई, पर वो कल सफ़र का थका हुआ था इसलिए उठा नही। आज उसके रिश्ते के लिए कुछ लोग आने वाले हैं, सना भी दो दिन पहले ही आ गई है, वह भी अभी तक जगी नहीँ है। इन दिनों उसको आराम की सख्त जरूरत है, डॉक्टर ने उसे आराम करने की सलाह दी है, सना माँ बनने वाली है, उसका आठवाँ महीना चल रहा है। मीरा चाय बनाकर ले आयी। मुकेश ने दरवाजे के कमरे में लेटे हुए बाबू जी को उठाकर बाहर चबूतरे पर बैठाया, उनकी देखभाल सिर्फ़ मुकेश ही सही तरीके से करता है। बाबू जी की देखभाल मीरा भी करती है, किन्तु दोनों की देखभाल में अंतर है। मुकेश इसलिए करता है कि वह उनका बेटा है और मीरा इसलिए करती है कि बाबू जी को हर महीने वृद्धा पेंशन मिलती है। जब से बेटा (सुमित) कमाने लगा है तब से मीरा के देखभाल करने के तरीके में कुछ बदलाव आ गया है।मुकेश ने बाबू जी का कमरा साफ किया, उनके कपड़े बदलवाए, बिस्तर को हटाकर नया बिस्तर बिछाया और चादर बिछाई। बाबू जी को हाथ पैर धुलवाये, मंजन करवाया तथा नया अंगौछा दिया हाथ पैर पोछने के लिए। ये अंगौछा सुमित कल दिल्ली से लेकर आया है। इतने में सुमित उठकर आ गया उसने बाबू जी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। बाबू जी बहुत प्रसन्न हुए, इतने दिनों बाद होनहार पोते को देखकर बाबू जी की आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े। सुमित पूरे ग्यारह महीने बाद दिल्ली से लौटा है। सुमित ही है जो पूरे घर में सबसे अलग है, वह अधिक पढ़ तो नहीं पाया किन्तु व्यवहार कुशल है और जिम्मेदार भी। उसने अपने जीवन में कुछ सिद्धांत अपना रखें हैं। सुमित जब स्नातक की पढ़ाई कर रहा था तो एक दिन दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर ने युवाओं के लिए के लिए बड़ा सारगर्भित और संदेशपरक व्याख्यान दिया था____”ईश्वर ने यदि हमें मनुष्य शरीर में जन्म दिया है तो वह किसी व्यवस्था से हमें वंचित नहीं रखेगा___बस हमें सही समय का इंतज़ार करना चाहिए___सही समय आने पर हमें हमारी जरूरत की हर व्यवस्था मिल जाएगी___हमारे पास किसी की धरोहर (कौमार्य) जो ईश्वर प्रदत्त है उसे उस समय तक संभाल कर रखना चाहिए जब तक कि उसका उचित उत्तराधिकारी आकर उसे सही-सलामत रूप से प्राप्त न कर ले___यदि हमने समय से पहले भावावेश में आकर उसे किसी दूसरे को दे दिया तो आने वाले को मिलेगा क्या?”,,सुमित ने प्रोफेसर साहब की बात को अपने मन में गाँठ बाँधकर रख लिया था। इसलिए वह युवावस्था की विसंगतियों से बच हुआ था।छात्र जीवन से लेकर आज तक उसकी कहीं कोई चर्चा सुनायी नहीं पड़ी, जैसा कि आजकल के नवयुवकों की आये दिन किसी न किसी घटना का जिक्र बिरादरी में अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है, कभी लड़ाई-झगड़ा तो कभी प्रेम-प्रसंग। अभी पिछले महीने ही रामभरोसे का मझला लड़का मुहल्ले की एक लड़की को लेकर भाग गया। उसका बीते दो वर्षों से उस लड़की से प्रेम-प्रसंग चल रहा था। घरवाले इसका विरोध करते थे कि ये सब बात अच्छी नहीं है, इससे परिवार के माथे बहुत बड़ा कलंक …………..। किन्तु उसके सिर पर तो प्यार का नशा सवार था मौका पाते ही वह अपना काम कर गया। युवा पीढ़ी की इन्हीं हरकतों से आजकल हर माँ-बाप एक अज्ञात भय से खुद को डरा हुआ महसूस करते हैं। सुबह के आठ बज चुके हैं, मीरा ने रोज की तरह जल्दी नहाकर सबके लिए नाश्ता तैयार किया। सना के लिए दलिया बनाई। अनिकेत आज अपने रोज के समय से थोड़ा पहले उठ गया, पता नहीं बड़े भाई को दिखाने के लिए या कुछ और सोचकर। सभी लोग नहा धोकर तैयार हो गए, सबने एकसाथ मिलकर नाश्ता किया। बाबू जी को भी नाश्ता कराया गया, आज बाबू जी बहुत खुश थे, क्योंकि आज सुमित के रिश्ते के लिए जो लोग आ रहें हैं उनके साथ सबसे बड़ी बेटी और दामाद भी आने वाले हैं।जब से बाबू जी बीमार हुए हैं बेटियाँ खुद समय निकालकर उनसे मिलने चली आती हैं। एक दो दिन रुककर वापस चली जाती हैं, क्योंकि मीरा को उनका अधिक रुकना अच्छा नहीँ लगता है। बेटियाँ जब बाबू जी की पास जब बैठती हैं तो मीरा को यही लगता है कि बाबू जी जरूर हमारी बुराई उनको बता रहे होंगे। “संसार में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनमें मधुरता कम तकरार ज्यादा होती है___उन्हीं में से एक रिश्ता है ननद और भौजाई का।”बाबू जी के जीवन में पत्नी के न रहने के बाद बड़ी एकांगिता आ गई थी। वह अपने मन की पीड़ा सिर्फ़ बेटियों से कहते थे इससे उनके दिल का बोझ कुछ हल्का हो जाता था।”स्त्री अपना अकेलापन किसी तरह काट लेती है किंतु पुरूष का अकेलापन बड़ा दुरूह हो जाता है___इसका कारण यही है कि स्त्रियाँ अपने मन की पीड़ा अडोस-पड़ोस में जाकर चोरी-छिपे किसी से कह लेती हैं तो उनके मन का भार कम हो जाता है___किन्तु पुरुष ऐसा कर नहीं पाता___उसको डर रहता है कि घर की बात घर से निकलकर बाहर चली जायेगी तो बदनामी उसी की होगी।”भक्तिकालीन कवि रहीम जी ने सच ही कहा है कि_____”रहिमन निज……………………कोय”सुमित इतने दिनों बाद वापस गाँव आया था तो उसके कुछ मित्र जो बड़े घनिष्ठ थे वो सब मिलने आ गए। भोला और रामू ये दोनों ही सुमित के बड़े खास थे। बहुत दिनों बाद तीनों मिले थे बैठकर गपशप करने लगे, कुछ देर तक बातों का सिलसिला चलता रहा, फिर तीनो उठकर बीच गाँव की तरफ घूमने चले गए। अनिकेत पास के कस्बे से कुछ मिठाई और नाश्ते के सामान लेने के लिए मोटरसाइकिल से चला गया। मीरा ने उसे समझाकर भेजा था कि समय से लौट आना, क्योंकि वो आज़ाद खयाल का था पता नहीं घूमने में पड़ जाय तो याद ही न रहे कि समय पर घर भी लौटना है। घर में मेहमानों के स्वागत की जो तैयारियाँ थी लगभग पूरी हो चुकी थी बस कुछ सामान जो बाहर से लाना था वही शेष था।सना स्नान करके कपड़े बदल रही थी तभी उसका मोबाइल बजा, उसने फोन उठाया और देखा तो उसकी मौसी का फोन था। उनसे बात की तो पता चला कि आज मौसा जी और मौसी दोनों लोग साथ आ रहे हैं। सना ने फोन रखा, कपड़े पहने, माँ को यह खुशखबरी सुनाई, मीरा बहुत प्रसन्न हुई। इतने में अनिकेत भी सामान लेकर आ गया, उसने सामान और बचे हुए पैसे माँ के हाथ में थमाए। मीरा ने सामान और पैसे सना को देते हुए कहा___इसको ले जाकर कमरे में रख दो मैं दोपहर का खाना जल्दी से बना लूँ नहीं तो सब लोग आ जाएंगे तो समय नहीं मिलेगा___इतना कहकर वह रसोई में चली गई। सना ने दरवाजे के कमरे में जाकर बेडसीट, परदे और सोफा कवर बदल रही थी, तभी दरवाजे एक चमचमाती हुई कार आकर खड़ी हुई। उसमें से कुछ लोग उतरे, उसने खिड़की से देखा___अरे! ये तो फूफा और बुआ जी हैं। दो लोग और थे जिनको वह नहीं पहचान सकी, क्योंकि आज के पहले उसने उन लोगों को कभी देखा नहीं था। सना ने जब अपना दिमाग दौड़ाया तो समझ गई कि ये दोनों अज़नबी सुमित के रिश्ते के लिए………….।बहुत खुश हुई और अनिकेत को धीरे से आवाज़ लगाई कि बाहर जाकर उन लोगों के बैठने का इंतजाम करे इतना कहते घर के अंदर चली गई। फूफा जी बुआ जी दोनों ने बाबू जी को प्रणाम किया और स्वास्थ्य का हालचाल पूछने लगे। बाबू जी ने कहा ठीक हूँ आप सबको देखने की बड़ी इच्छा हो रही थी। फूफा जी ने उन दोनों लोगों का भी परिचय कराया जो रिश्ते के लिए आये थे। अनिकेत ने दरवाजे पर कुर्सियाँ डाली सबको प्रणाम किया फूफा व बुआ जी के चरण छुए। बुआ जी का बैग उठा कर घर ले गया साथ में बुआ जी भी। सना ने आँगन में बुआ जी के लिए चारपाई डाली उनको पानी पीने के लिए एक प्लेट में बर्फी और एक गिलास ठंडा पानी लाकर दिया। अनिकेत मिठाई और ठंडा पानी मेहमानों के लिए दरवाजे पर ले गया। मीरा सबके लिए चाय बनाने लगी, चाय अलग-अलग दो बार बनानी पड़ी। कुछ लोगों के लिए चीनी की और कुछ के लिए बिना चीनी वाली। दरवाजे पर लोग अभी पानी ही पी रहे थे कि मौसा जी और मौसी भी बुलट आ गई। दोनों लोगों ने एक दूसरे की धूल साफ की, गाँव रास्ता मुख्य सड़क से कुछ दूर कच्चा है जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। सना स्नान करके कपड़े बदल रही थी तभी उसका मोबाइल बजा, उसने फोन उठाया और देखा तो उसकी मौसी का फोन था। उसने बात की तो पता चला कि आज मौसा जी और मौसी दोनों लोग साथ आ रहे हैं। सना ने फोन रखा, कपड़े पहने, माँ को यह खुशखबरी सुनाई, मीरा बहुत प्रसन्न हुई। इतने में अनिकेत भी सामान लेकर आ गया, उसने सामान और बचे हुए पैसे माँ के हाथ में थमाए। मीरा ने सामान और पैसे सना को देते हुए कहा___इसको ले जाकर कमरे में रख दो मैं दोपहर का खाना जल्दी से बना लूँ नहीं तो सब लोग आ जाएंगे तो समय नहीं मिलेगा___इतना कहकर वह रसोई में चली गई। सना ने दरवाजे के कमरे में जाकर बेडसीट, परदे और सोफा कवर बदल रही थी, तभी दरवाजे एक चमचमाती हुई कार आकर खड़ी हुई। उसमें से कुछ लोग उतरे, उसने खिड़की से देखा___अरे! ये तो फूफा और बुआ जी हैं। दो लोग और थे जिनको वह नहीं पहचान सकी, क्योंकि आज के पहले उसने उन लोगों को कभी देखा नहीं था। सना ने जब अपना दिमाग दौड़ाया तो समझ गई कि ये दोनों अज़नबी सुमित के रिश्ते के लिए………….।बहुत खुश हुई और अनिकेत को धीरे से आवाज़ लगाई कि बाहर जाकर उन लोगों के बैठने का इंतजाम करे इतना कहते घर के अंदर चली गई। फूफा जी बुआ जी दोनों ने बाबू जी को प्रणाम किया और स्वास्थ्य का हालचाल पूछने लगे। बाबू जी ने कहा ठीक हूँ आप सबको देखने की बड़ी इच्छा हो रही थी। फूफा जी ने उन दोनों लोगों का भी परिचय कराया जो रिश्ते के लिए आये थे। अनिकेत ने दरवाजे पर कुर्सियाँ डाली सबको प्रणाम किया फूफा व बुआ जी के चरण छुए। बुआ जी का बैग उठा कर घर ले गया साथ में बुआ जी भी। सना ने आँगन में बुआ जी के लिए चारपाई डाली उनको पानी पीने के लिए एक प्लेट में बर्फी और एक गिलास ठंडा पानी लाकर दिया। अनिकेत मिठाई और ठंडा पानी मेहमानों के लिए दरवाजे पर ले गया। मीरा सबके लिए चाय बनाने लगी, चाय अलग-अलग दो बार बनानी पड़ी। कुछ लोगों के लिए चीनी की और कुछ के लिए बिना चीनी वाली। दरवाजे पर लोग अभी पानी ही पी रहे थे कि मौसा जी और मौसी भी बुलट आ गई। दोनों लोगों ने एक दूसरे की धूल साफ की, गाँव रास्ता मुख्य सड़क से कुछ दूर कच्चा है जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। मीरा ने मुकेश को फोन करके कुछ नाराज़गी के साथ बताया कि घर में मेहमान आये हुए हैं और तुम्हारा कुछ अता-पता ही नहीं है।सना ने सुमित को फोन किया___तुम जल्दी घर आ जाओ यहाँ सब लोग तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। सुमित ने कहा___दीदी तुम फोन रखो मैं अभी पहुँच रहा हूँ। मीरा ने चाय छानकर साथ में नमकीन और बिस्कुट अलग-अलग रखकर अनिकेत से दरवाजे पहुँचवाया। और खुद चाय लेकर बाहर वाले कमरे में सना के मौसा-मौसी के पास गई। सना से कहा कि बिना चीनी वाली चाय और नमकीन बुआ जी को दे दें। सुमित ने आकर दोनों ( मौसा और मौसी) के पैर छुए, आशीर्वाद लिया, उसने देखा कि आँगन में बुआ जी चारपाई पर बैठी चाय की चुस्कियाँ ले रही हैं। मुस्कराते हुए उसने बुआ जी पैर छूकर आशीर्वाद लिया, और चारपाई के पैताने की तरफ बैठकर हालचाल पूछने लगा। बुआ जी ने चाय पीकर कप किनारे रखा, और पर्स से एक फ़ोटो निकालकर सुमित को देते कहा कि यही वह लड़की है जिसका रिश्ता तुम्हारे लिए आया है____देखकर बताओ कैसी है? लड़की की फ़ोटो सलवार सूट में थी। सुमित ने एक नज़र फ़ोटो देखकर सना को दे दी, सना ने फ़ोटो देखकर कहा____लड़की बहुत सुंदर है। मीरा ने फ़ोटो देखी, मौसी और मौसा ने भी। लड़की सबको पसन्द थी, बस इंतज़ार था रिश्ता तय होने का, दान-दहेज तय होने का, बुआ जी ने बताया कि”___ रिश्ता अच्छा है लड़की अकेली है पिता सरकारी स्कूल में मास्टर है, भाई आर्मी में है। दान-दहेज खूब मिलेगा, लड़की भी पढ़ी-लिखी है, सुंदर है, गृह कार्य में निपुण है, सुमित की जोड़ी बड़ी बहुत अच्छी रहेगी।दरवाजे पर बातचीत चल रही है, मुकेश भी आ गया है, साथ में गाँव के नेता चाचा भी हैं। कुछ लोग बात कर रहे हैं तो कोई अखबार पढ़ रहा है, बीच-बीच में देश के सार्वजनिक मुद्दे (राजनीत) पर भी बात होने लगती है। नेता चाचा को राजनीति की चर्चा में बहुत आनंद आता है। इसी बीच दुबारा चाय बनकर आ गई, इसबार चाय लेकर सुमित आया था। सुमित ने नेता चाचा को प्रणाम किया, फूफा के पैर छुए, रिश्ते लेकर जो लोग आये थे उनको भी प्रणाम किया। नेता चाचा सभाचातुर्य व्यक्ति थे, ऐसे मौके पर गाँव के लोग उनको अक्सर बुला लेते थे। इन बातों में उनको बड़ा आनंद आता था, किसी की प्रशंसा करनी हो तो ये गुण उनसे सीखा जा सकता है। तारीफ के पुल बांधने की कला में उनको महारथ हासिल थी, फिर सुमित तो गाँव में सबसे अच्छा लड़का था ही, उसकी अच्छाइयों में जितना भी कहा जाय उतना ही कम है।लड़की का नाम सुनंदा था, शादी बन रही थी, क्योंकि सुमित और सुनंदा दोनों की एक ही राशि थी। लड़की और लड़के का नाम अगर एक ही राशि के अंतर्गत है तो शादी वैसे ही बन जाती है। घर में आज बड़ा खुशी का माहौल है। मीरा और उसकी बहन आज बड़े दिनों बाद मिली हैं दोनों कमरे में बैठी बातें कर रही हैं। मीरा का कहना है कि दीदी रिश्ता तो बढ़िया है पर मन में एक डर है कि अगर शादी तय हो गयी तो उसे ज्यादा समय तक टाला नहीं जा सकता है। मैं नहीं चाहती कि खुशी के इस खूबसूरत मौके में किसी तरह का कोई ख़लल पड़े। अब तुम तो हमारे दिल का हाल जानती हो दीदी यही कि बाबू जी पिछले तीन वर्ष से बिस्तर पर हैं। इधर घर में शादी की तैयारी की जाय और उधर बाबू जी कहीं………………….। इसलिए मैं बेटे की शादी में कोई जोखिम नहीँ लेना चाहती।अनिकेत ने दरवाजे से आकर बताया कि फूफा और बुआ दोनों लोग तैयार हैं जाने के लिए, इसी कार से चले जायेंगे। कल उन लोगों को दिल्ली जाना है किसी काम से इस कारण रुक नहीं पाएंगे। लड़की के पिता और चाचा वो लोग भी बाबू जी से जाने की अनुमति लेने लगे। ड्राइवर ने गाड़ी घुमाई, नेता चाचा ने लड़की के पिता को आस्वासन दिया कि आप चिंता न करें आपका ही रिश्ता होगा। फूफा बुआ ने बाबू जी को प्रणाम किया, आशीर्वाद लिया और कार में बैठकर चले गए। नेता चाचा ने दो कप चाय पी थी उतना काम कर दिया, वो भी अपने घर चले गए।आइए अब देखते हैं किसको किसका इंतज़ार है?___सुमित को इंतज़ार है अपने सपनों की राजकुमारी का।___सना को इंतज़ार है दो से तीन होने का, माँ बनने का, ननद बनने का।___अनिकेत को इंतज़ार है नई-नवेली भौजाई के आने का।___बाबू जी को इंतज़ार है लमधी बनने का, पौत्रवधू के आने का।___ मुकेश को इस बात का इंतज़ार है कि कब मीरा को यह समझ में आएगा कि अब हमारे दिन नहीं रहे मौज-मस्ती करने के।___मीरा को इंतज़ार है बाबू जी की साँसों के खाताबही पूरा होने का। _____________०_____________ ©अमरेश सिंह भदौरिया
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