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मन चाहा कब हो पाता है

 

Amresh Singh 

12:26 PM (4 hours ago)




to me 



मन  चाहा कब  हो  पाता  है।
नियति लिखा हिस्से आता है।
दरपन  भी  सच बोल सके न,
दाएँ  को  बाएँ  दिखलाता है।

©अमरेश सिंह भदौरिया







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