Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मुक्तक

 

मेरी मुश्किलों का  वो हल ढूँढ़ता है।

जो हमदर्द था  अब  गरल ढूँढ़ता है।

नादान  है   या   समझदार   ज्यादा,

अधिक सोचकर वो सरल ढूँढ़ता है।

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