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प्रेम परिपाटी

 
प्रेम परिपाटी

भागना लहर के पीछे भला किसको यहाँ भाये।
बदल तू प्रेम परिपाटी, जमाना तेरे गुण गाये।
पैदाकर कशिश इतनी तू अपनी चाहत में,
समंदर स्वयं चल करके तेरे पास आ जाये॥

©अमरेश सिंह भदौरिया

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