Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

रात भर

 
रात भर


चाह से चाहतों के सफ़र में दिल रहा,
कामना कसमसाती रही रात भर।
शबनमी एहसास से मन भीगता रहा,
धड़कनें गुनगुनाती रही रात भर।
पलकों के पालने में बिठा आपको,
नेह डोरी झुलाती रही रात भर।
सो पाया नहीं एक क्षण के लिए,
आपकी याद आती रही रात भर।

©अमरेश सिंह भदौरिया

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ