कविता-मुक्तक
Inbox | x |
| 12:06 PM (6 hours ago) |
|
ओढ़कर ख़ामोशियाँ ये
तुम न यूँ गुमसुम रहो।
आओ बैठो पास मेरे
हाल-ए-दिल हमसे कहो।
हो जहन्नुम या कि जन्नत
दोनों ही स्वीकार मुझको,
शर्त इतनी है कि "अमरेश"
साथ मेरे तुम रहो।
©अमरेश सिंह भदौरिया
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY