Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आँखें मेरी आज सजल हैं

 
आँखें मेरी आज सजल हैं।◆

उम्मीदों पर माथा फोड़ा
खुशियों को तुमसे था जोड़ा
टूटा आज वहम जब मेरा
भहराया अरमान महल है
आँखें मेरी आज सजल हैं।

मैं जो न कह पाया तुमसे 
वही लिखा हर रोज कलम से
खुद से बढ़कर तुमको चाहा
शायद उसका ही प्रतिफल है
आँखें मेरी आज सजल हैं।

बहती थी भावों की सरिता
आज वही हृदयघट रीता
यादों के उठ रहे बवंडर
मुरझाया अहसास कँवल है।
आँखें मेरी आज सजल हैं।

सपनों का सम्बंध था तुमसे 
जीवन का अनुबंध था तुमसे
ज़ार-ज़ार रोता है दिल अब
उठती हूक यहाँ हर पल है
आँखें मेरी आज सजल हैं।

©अमरेश सिंह भदौरिया

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ