शायरी
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मौसम में नमी और आग दिलों में,
सभ्यता की निशानी ये तो नहीं है।
रिश्तों में शुष्कता,आँखों में पानी,
होली की निशानी ये तो नहीं है।
©अमरेश सिंह भदौरिया
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