भाई के हित भाई का समर्पण हमें वो चाहिए।
दुस्वारियों में साथ दे जो लक्ष्मण हमें वो चाहिए।
सिर्फ चेहरे पढ़ लेना ही शायद नही बाज़ीगरी,
नियति को भी पढ़ सके जो दर्पण हमें वो चाहिए।
©अमरेश सिंह भदौरिया
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