Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आज फिर उन खयालों में आना हुआ

 

आज फिर उन खयालों में आना हुआ
जानकर उनका फिर यूँ शर्माना हुआ

 


कद्र करते रहेंगे .....उमर भर प्रिये
इब्तदा से अब ख्वाब सयाना हुआ

 


इज़ाफा हुआ मेरी धड़कनों में अभी
स्वप्न में उनका यूँ आना जाना हुआ

 


नेकियां करके..हम भी गुजर जाएगे
कुरबतों में फ़रेबी का जमाना हुआ

 

Anand Murthy

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हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ