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घड़ी की सुइयां देख-देखकर ...

 

Anand Murthy

 

 

 


घड़ी की सुइयां देख-देखकर ...
मोरे मन की छइयां डोल रही हैं.....
रोम -रोम बेचैन हुआ.......जब
पनघट पर गुइया डोल रही हैं....

 

 

सुर तान मिलाए बैठे हैं..........
पइयां के घुंघरू.....
बइयां के घुघरू से ............... कुछ बोल रहे हैं......

 

मटकी की छलकन से ...
कितने अधरों की नइया ..
डोल रही है..............
घड़ी की सुइयां देख देख कर ........................

 

मस्ती भरी.उस .चाल से.......
मोरे मन की छइयां डोल रही हैं....

 

 

 

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