Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी बस्ती की कीमत ,उस वक्त बड़ती है

 

 

मेरी बस्ती की कीमत ,

उस वक्त बड़ती है.....1..
जब एक हस्ती के चापों की,

चाहत वेवक्त बड़ती है...1..
मेरी सस्ती जुबां जब ,

किसी को शख्त लगती है...1.
तब मेरी कस्ती भी ,

मझधार मे परास्त लगती है...1..

 

 

Anand Murthy

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