मेरी बस्ती की कीमत ,
उस वक्त बड़ती है.....1..
जब एक हस्ती के चापों की,
चाहत वेवक्त बड़ती है...1..
मेरी सस्ती जुबां जब ,
किसी को शख्त लगती है...1.
तब मेरी कस्ती भी ,
मझधार मे परास्त लगती है...1..
Anand Murthy
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मेरी बस्ती की कीमत ,
उस वक्त बड़ती है.....1..
जब एक हस्ती के चापों की,
चाहत वेवक्त बड़ती है...1..
मेरी सस्ती जुबां जब ,
किसी को शख्त लगती है...1.
तब मेरी कस्ती भी ,
मझधार मे परास्त लगती है...1..
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