Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नन्दनी ..............................

 

 

नन्दनी माता की तुम ,

वन्दनी भ्राता की तुम ,

चाँदनी चाचा की तुम ,

लाडली पापा की तुम

 

मानस मन की मुस्कान मधुर |

गीत की इक पहचान मधुर |

हस्त ऋचा की मेहमान मधुर |

ममता मन की अरमान मधुर |



सुरभित सुन्दर सुमन खिला दो,

आस नई , एक विस्वास दिला दो.

जीत शिखा की समृद्धि माला में ....

अदभुत अपना नाम सजा दो ........

करम धरम से इस दुनिया में ,

ममता मन को एक पहचान दिला दो.......



आज तुम चिन्तन करो ,

काज का मन्थन करो...

ऋचाएं भी साथ देगी...

सादगी से तो मन्चन करो..............



रश्मियाँ अन्जन करें

चाँदनी चन्दन करें

सहजनी वन्दन करें...

हम आपका अभिनन्दन करें...........................

 

 

 

Anand Murthy

 

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