शान्ति सूरज उठे,
भंवर भ्रम की घटे !
रवि पूरब उठे ,
तम की मूरत छटे !
शान्ति सूरज बढ़े,
दिन दो भर बढ़े !
शशि प्रेम का उठे,
तम पाप का छटे !
कली जोश की खिले,
सुमन शान्ति का खिले !
रूप उसी का बसे,
दैत्य जिससे डरे !
शान्ति सूरज उठे,
स्नेहिल लालसा बढ़े!
समता की लड़ी ,
बो न टूटे कभी !
दीप ज्ञान का जले,
तम धरा से छटे !
क्रोध मन से घटे,
रोग तन से घटे !
मन से मिटते कुभाव ,
सीखे सेवा का भाव !
हो अशान्ति का अभाव ,
बढ़े शान्ति का प्रभाव !
न हो मन मे विकार ,
बहे शान्ति की बयार !
हो अपनों मे शुमार ,
मिले खुशियां अपार !
कर्म पूरण करें ,
शान्ति पूजन करें !
साधना शान्ति की करे ,
आराधना शान्ति की करे !
शान्ति सूरज उठे...............................
Anand Murthy
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