Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये हाल कैसा हो गया

 

ये हाल कैसा हो गया,
आज के वातावरण में.


नींद की पलके झांके,
हैवानियत की रात में.


सुबह के नयन निहारे,
उस घृणित आँच में...


मना मन जो मान ले,
आज के वातावरण में.........


चाह कर भी प्यार न मिले,
रोष के बाजार में.......


सोच भी चिन्ता बनी,
आज के माहौल में...


चाह दिखावा बढ़ गया,
शोरुमों के हाट में....


कोयल भी कूके आज ,
बगुलों की तान में ..


श्वान भी न मुह खओले,
अपनाव की आस में......


शािन्त भी हारें
अशािन्त के माहौल में...................

 

Anand Murthy

 

 

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