सात समन्दर पार तक, नत स्नेहिल संसार।
नये कलेवर में मिला,फ़िर से मां का प्यार।।
आनन्द में आनन्द मिले, बने नए विधान ।
क्लेश क्लेश में आ गये, मिट रहे व्यवधान ।।
सात समन्दर पार तक, नत स्नेहिल संसार।
नये कलेवर में मिला,फ़िर से मां का प्यार।।
आनन्द में आनन्द मिले, बने नए विधान ।
क्लेश क्लेश में आ गये, मिट रहे व्यवधान ।।
LEAVE A REPLY