| Wed, Feb 5, 7:43 AM (1 day ago) |
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'अथक प्रयास'
है तू मानव
तुझ में ही तो वह आग है
चीर जो सकती है पहाड़ को
है अथक, वह प्रयास है
तूफान है कई
तेरी मंजिलों के मुकाम तक
है मगर आश तो
लहरों से भी खेल जायेगे
सागर ही क्यों ना हो रास्तों में
हम तैर के भी
उस पार को
मंजिलों तक जायेगे
हार भी गये एक बार को
हम कोशिशें
हर बार
अथक प्रयास तक ले जायेगे
राह काँटों से भरी हो
चाहे बाधाएँ
आसमां-सी बड़ी हो
है मनुज तू
उल्लास से भरा
कब तेरे प्रयास में
उन्माद का ह्रास था भरा
उमंग से फिर
अथक प्रयास तक
हम ही प्रयास को दोहरायेगे
हो कितना ही फासला
मंजिलों के पास का
है मनुज हम
आश से अथक प्रयास को
हर विफलता के बाद भी
मंजिलों के रास्ते
चढ़ते ही जायेगे
है तू मानव
हम हर बार
यही अथक प्रयास
जीत तक
करते ही जायेगे।
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