‘दर्द से आगे’
क्या लिखूँ उस दर्द को
जो गुजर गया है
उठती थी ठीस कभी
इस दिल से भी
पर अब मुस्कुराहट ने
उस दर्द को ही
ढक लिया है
बीत गया वह
वक्त के साथ
गुजरी बातें बनकर
हमने भी ऐ ! जमाने
अब जीना सीख लिया है।
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‘दर्द से आगे’
क्या लिखूँ उस दर्द को
जो गुजर गया है
उठती थी ठीस कभी
इस दिल से भी
पर अब मुस्कुराहट ने
उस दर्द को ही
ढक लिया है
बीत गया वह
वक्त के साथ
गुजरी बातें बनकर
हमने भी ऐ ! जमाने
अब जीना सीख लिया है।
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