विवाद किसका ?
राम लड़ उठे
अल्ला के दरबार में
अल्ला ने भी आग लगायी
रघुनन्दन के घर-बार में
घर दोनों के अलग नहीं थे
दोनों साथ में रह सकते थे
पर मन्दिर-मस्जिद दोनों खड़े थे
न्यायालय की चारदीवार में
लड़ने राम नहीं आया था
अल्ला ने भी कोई फरमान नहीं सुनाया था
फिर काले कोटों में कौन खड़े थे ?
किसने उनको बुलाया था ?
बाबरी हो मस्जिद
या जन्मभूमि हो राम की
अयोध्या की गलियों में
चलती थी ना अल्ला की ना राम की
मन्दिर-मस्जिद का मसला कैसे खड़ा हुआ ?
किसने चाल चली रानजीति के नाम की
या फिर कोई आस्था के नाम पर
खिलवाड़ कर गया भूमि के निलाम की
अब मन्दिर बनवा दो
या बनवा दो मस्जिद
ना अल्ला आया, ना खोले पट राम ने
मूर्खों की टोली में चालक खड़े थे
हिन्दू-मुस्लिम कहकर
जाने कितने युद्ध लड़े थे
अब भी क्या ऐसा नहीं है चल रहा
मन्दिर-मस्जिद के नाम का
कोई है, जो खेल तो था खेल रहा
अयोध्या भूमि पर
राजनीति से सत्ता के काम का ।
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