Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिल मिलाके आज हम कटुता मिटायें

 

   दिल मिलाके आज हम कटुता मिटायें।

हमारे  बीच के इस  फासले को
मिटे कुत्सा हमारे ही भले को,
कदम दो-चार है आगे बढ़ाना
हमारा ध्येय रूठे को मनाना।
उजड़े चमन में फिर बहारें लौट आयें
           दिल मिलाके आज हम कटुता मिटायें।

अलग हो बीच की सारी शिकायत
दुआ के साथ बढ़ जाये इनायत,
हुई जो भूल है उसको भुलाना
धरा को आज फिर जन्नत बनाना।
रंग की होली, दीवाली मिल मनायें
           दिल मिलाके आज हम कटुता मिटायें।

खता   तेरी   न   मेरी   मानना   है
बढ़ें मिलके कदम भी कामना है,
चले हैं साथ तो होगी कमी भी
खुली जब आँख तो इनमें नमी भी।
गीत मिलके सन्धि का हम गुनगुनायें
           दिल मिलाके आज हम कटुता मिटायें।

ह्रदय  हो प्यार , ममता का बसेरा
कलह का तम हटे आया सवेरा,
सहज स्वीकार हो हित दूसरों के
बुझे दीपक जलें सबके घरों के।
आज मिलके एक नया भारत बनायें
           दिल मिलाके आज हम कटुता मिटायें।

अनिल मिश्र प्रहरी।


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