आयी हूँ मैं ......
अपने परिवार से बिछड़कर.......
पूरी यादों का बसेरा समेट कर.............
थोड़ा सा एतबार करना....
माँ से कम ही प्यार करना.....पर
इन हाथों को हमेशा थाम कर रखना........
बड़ा दुखी है मन अपनो से बिछड़कर......
अब अकेले रहने की तुम बात न करना......
डेरो सपने सजा कर आयी हूँ पूरा न कर सको तो
पूरा करने की उम्मीद ही दे देना......
अपने दिल के किसी कोने मे इन्हे सगह दे देना........
कच्ची मिट्टी नहीं हूँ मैं जो तुम्हारें आकार में ढल जाऊँगी..
मुझे इंसान समझ कर थोडा सा वक्त दे देना.....
बहुत विश्वास करके आयी हूँ मैं.......
सारे विधाता को मना कर आयी हूँ मैं.......
कम से कम तुम तो मुझे पराया धन न समझाना.....
मैं खुशियों से तुम्हारा आँगन भर दूँगी......
बस मुझे इस आँगन का हिस्साबनाकर रखना......
न दो चाहे खुशियाँ मुझे पर मेरे गमों की वजह न बनना.......
बहुत सहमी हुयी हूँ मैं.... लाखो सावालो से घिरी हूँ मैं..
क्या बताऊँ तुम्हे कि आज एहसास हुआ
कि लड़की हूँ मैं.....
लड़की हूँ मैं.....
अंजली अग्रवाल
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