हम सब दौड़े जा रहे है.....
रास्तो के देखें बिना ,
मंजिल की ओर बढें जा रहें है....
जो रास्ते ना मिले तों ,
इंसानों को ही सीढी बनाते जा रहें है....
आगे क्या होगा इसकी फ्रिक किसको है ,
हम सब आज में जीयें जा रहें है....
सही और गलत के तो , मायने ही भूलते जा रहें है.....
रूकने की फुरसत कहाँ है किसी को इस दौड़ में ,
हम अपनो को ही पीछे छोड़े जा रहें है....
क्या पाया ये सोचा किसने है ,
और क्या पाने के लिये दौड़े जा रहें है....
एक बार तो पीछे मुड कर देखो मेरे दोस्तों ,
हम जिन्दगी तो पीछे छोड़े जा रहें है....
हम सब दौड़े जा रहे है...
अंजली अग्रवाल
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