Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जो बैठा लिखने उसके बारे में

 

 

जो बैठा लिखने उसके बारे में .............
तो जिन्दगी मुस्कुराने लगी.........
गमों की परछाई दूर भागने लगी......
इतनी खुशी मिली उसके संग ये आज जाना.....
इस खूबसूरत दुनिया को आज पहचाना....
रोता रहा अपने गमों के लेकर.....
एक खुशी तो हमेशा से मेरे पास थी...
जीने के वजह हमेशा से मेरे पास थी...
ढूँढता रहा मैं मेहखानो को.....
गमों को भुलाने की शबाब तो मेरे पास ही थी.......
इतना सुकुन मिला इस दिल को कि आँखे खोलना ही भूल गया...
खोया कुछ इस कदर उसकी यादों में कि लिखना ही भुल गया।

 

 


अंजली अग्रवाल

 

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