मेरा ही हिस्सा है तू.......
कैसे अपने से दूर कर दूँ तूझे.......
कितने ही मंदिर मे दिपक जलाया हूँ........
तब तूझे पाया हूँ........
क्या बताँऊ तूझे........तू बोझ नहीं मुझ पर.....
तेरे लिये कितनी रात अकेले मे आँसु बहाया हँू..........
मैं भी तूझे अपनी गोद में खिलाना चाँहता हँू.......
ऊँगली पकड़ कर तेरे साथ चलना चाँहता हँू.......
तुझे तो मैं अपना बेटा बनाना चाँहता हँू.......
अन्तिम अग्नि भी तेरी हाथों की चाँहता हँू.......
डेरों सपने बुन चुका हँू मैं.....
तेरी डोली अरमानो से सजा चुका हँू मैं.....
पर डरता हँू मैं.....
इस बदलती दुनिया से........
जहाँ लड़कियों को कभी दहेज के लालच में जला दिया जाता है..
तो कभी लड़को द्वारा अपनी हवस का शिकार बना लिया जाता है..
कभी शिक्षा देने वाला शिक्षक ही भक्षक बन जाता है....
तो कभी न करने पर उन्हे तेजाब से मिटा दिया जाता है..
रूह काँप जाती है मेरी....
कैसे लाऊँ तुझे इस दुनिया में......
जहाँ कदम कदम पर डर का साया है....
कैसे महफूस रख पाऊँगा मैं तुझे.......
बस यही सवाल मन मे उठता है...
मुझे माफ करना मेरी बेटी....
मुझमे हिम्मत नहीं तुझे इस दुनिया में लाने की.....
मैं निसंतान ही रह जाऊँगा .......
पर तेरे दर्द को न सहन कर पाऊँगा........
मुझे माफ करना मेरी बेटी....
मुझमे हिम्मत नहीं....
तेरे आँसुओं को में न पी पाऊँगा।
अंजली अग्रवाल
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हमारे देश मे कन्याभ्रूण हत्या तब बन्द होगी जब
देश का कानून शक्त होगा जब देश की हर बेटी
अपने आप को यहाँ सुरक्षित महसूस करेगी....
उस दिन हर पिता अपनी बेटी को इस दुनिया मे लाएगा ।
अंजली अग्रवाल
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