मैंने रिश्तो को बदलते देखा है...
अपनो को दूर जाते देखा है...
हर इंसान मुखोटा लगा कर घूमता है यहाँ....
मैंने लोगो को मुखोटा उतारते देखा है...
जरा संभलकर चलना इस दुनिया में..
मैंने तो भगवान को भी जमीन में पड़े देखा है...
सोच समझकर इस दिल में जगह देना किसी को ...
मैंने लोगो को इस दिल को तोड़ते देखा है...
सूरज बनकर ही रहना इस दुनिया में...
मैंने तो चाँद को अकेले मे रोते देखा है...
कभी विश्वास की चौखट पर न जाना तुम...
मैंने इसे लोगो को ठोकर मारते देखा है...
जलती हुयी लकडी हुँ मैं ...
मैंने इस आग मे लोगो को हाथ सेकते देखा हैं....
मैंने रिश्तो को बदलते देखा है...
अंजली अग्रवाल
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