Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ---

 


जब थक कर घर लौटा........
तो नजरो ने सबसे पहले तुझे खोजा.....
बैठा खाना खाने जब........
तो निवाला तेरे हाथ का याद आया.........
करवटें बदलता हँू रात भर..........
सोया करता था तब, जब जब बालों को तुमने सहलाया.......
सुबह तैयार होकर जब घर से निकलता हँू......
तो अचानक ही पीछे मुड़कर देखता हँू......
जैसे आवाज तुमने हो लगाया..........
वो आँसू ही अच्छे थे जिनके कारण तुमने मुझे गले लगाया......
हर पल तुम मेरे साथ ऐसे रहती हो......
जैसे माथे पर हो टीका लगाया.........
जब जब इस दुनिया ने मुझे सताया.....
तब तब होटों पे तेरा नाम आया........
क्यों बड़ा हो गया मैं.....
क्यों तुझसे जुदा हो गया मैं.....
बस यही ख्याल आज मन में आया....
आज तेरी बाहों में.....मैं दौड़ा चला आया......
हैप्पी मदर्स डे...........

 

 


अंजली अग्रवाल

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