Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सच्ची मद्द

 

कुछ बच्चें जो कि एक विद्यालय के विद्यार्थी थे। गाँव के खेतों के रास्तों से होते हुए अपने विद्यालय जा रहे थे। तभी उनकी नजर एक भिखारी पर पड़ी वह भूखा प्यासा लोगो से पैसे माँग रहा था उसे देख सभी विद्यार्थी के मन में डेरो सवाल उठने लगे। विद्यार्थी विद्यालय पहुँचते ही.......
उनके विद्यालय के अध्यापक जो सभी विद्यार्थीयों के चहेतें थे तथा सभी विद्यार्थी उनकी दयालुता के कारण उनका बहुत आदर करते थे।
उनके पास पहुँचें और बोल पड़े- सर भिखारी कौन होते है ?
लोग भिख क्यों माँगते है?
जैसे डेरो सवाल अध्यापक के सामने थे।
अध्यापक ने मुस्कुराकर कहा- मैं तुम सभी के सवालो का जवाब दँूगा। तुम सब अपने कक्ष में चलों।
सभी विद्यार्थी कक्ष में अध्यापक का बेसबरी से इंतजार कर रहे थे।
अध्यापक ने आते ही ब्लैक बोर्ड पर लिखा ‘‘सच्ची मद्द‘‘ और कहा-

‘‘ मैं आज आप सभी को एक कहानी सुनाना चाँहता हूँ।

एक पिता अपने बेटे के साथ घर के बाहर खेल रहा था।
कि तभी उनके पास एक भिखारी आया जो कि 15-16 साल का एक बालक था उसने कहा- ‘‘ मालिक 3 दिन से भूखा हूँ कुछ पैसे दे दो.....रहम करो....भगवान अपका भला करेगा...आपका बेटा खूब नाम कमायेगा‘‘ ।
पास खड़े बेटे को जिसकी उम्र 10 वर्ष थी उसे भिखारी की ज्यादा बातें तो समझ नहीं आयीं पर वो इतना तो समझ गया कि भिखारी को भूख लगी है और उसे पैसे चाहिये...
बेटे ने अपने पिता से कहा - ‘‘पापा इसे पैसे दे दो न‘‘।
पिता ने मुस्कुराकर कहा- तुम पहले जाओं अपनी माँ से कुछ खाने का लाओं और इसें खाना खिलाओं।
बेटे ने भिखारी को खाना लाकर दे दिया।
भिखारी ने पेट भर खाना खाया और कहा- ‘‘ सहाब आप तो अमीर है, खुदा की मूरत है, दयालू है, थोड़े पैसे और दे दो सहाब।
पिता ने भिखारी को देखा फिर चारो ओर देखा और कहा-
‘‘ सामने मेरी कार खड़ी है तुम उसे साफ कर दो मैं तुम्हे 50 रूपये दँूगा।
भिखारी ने सोचा और कहा - ‘‘ पानी और कपड़ा कहा से लू सहाब।
उसने गाड़ी साफ की और 50 रू लेकर चला गया।
इस तरह अब वो रोज आता और सभी के घर जाकर कहता सहाब मैं अपकी गाड़ी साफ कर दुँ।
बस इस तरह पैसे कमा कर वो अपना पेट भरने लगा और अब लोग उसेे भिखारी नहीं कहते थे।
अध्यापक ने अचानक विद्यार्थीयों की और देखा तो पाया कि सभी विद्यार्थीयों के चहरे पर मुस्कान हैं।
अध्यापक ने कहा - सुनो बच्चों
अगर पिता उस दिन भिखारी को पैसे दे देता तो....
भिखरी को लगता कि रोने से गिड़गिडाने से पैसे मिल जाते है और वो दूसरे दिन किसी ओर के पास जाकर भिख माँगता और जिन्दगी भर भिखारी ही कहलाता।
भिखारी वो इंसान होता है जो बिना मेहनत किये अपना पेट भरना चाँहता है।
अगर किसी इंसान कि मद्द करना हो तो ऐसी करो जिससे वह सही रास्ते पर चल सके।
इसे ही कहते है - ‘‘सच्ची मद्द‘‘
संदेष- इस समाज को भिखारी हम लोग देते है...
हमारे कारण ही एक इंसान भिखारी बनता हैं....
‘‘सच्ची मद्द‘‘ करना सिखिए।

 

 

 

 अंजली अग्रवाल

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