जिन्दगी को ख्याईशों के दरमिया सजा लेते है हम.....
हमेशा सबसे बेहतर चाहतें है हम......
अपनी तकलीफों में सपनों के मरहम लगा लेते है हम....
उम्मीद के एक लो लिये अंधेरे रास्ते पर चलते है हम....
जिन्दगी एक संघर्ष है,
बस यही कहकर दिल को सहलाते है हम....
दिल की अनसुनी कर लोगो की सुनते है हम....
जो मिला किसमत से और जो न मिला वो भी किसमत से...
क्यों जिन्दगी को किसमत के तराजू में तौलते है हम....
क्यों मरने से पहले हर रोज मरते है हम......
क्यों जिन्दगी को “काश” के भवर में छोड़ देते है हम...
कभी फुरसत से बैठों तो लगता है कि,
क्या अपनी ही जिन्दगी जी रहें हम...
या जीने का इंतजार कर रहे है हम.....
अंजली अग्रवाल
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