(1) यूँ तो भारत- भूमि पर, है वीरों का ढेर
भगत सिंह जैसा मगर, 'अंक' न कोई शेर ।
(2) केवल भारत ही नहीं, पूरा पाकिस्तान
देश 'अंक' दोनों करें, भगत सिंह पर भान ।
(3) 'अंक' कुँवारा था कहाँ, वो भारत का लाल?
आज़ादी उसकी वधू, फंदा था वरमाल ।
(4) जलियांवाला कांड ने, दिया भगत को तोड़
उनके जीवन में मगर , नया आ गया मोड़ ।
(5) पावन माटी से मिले, जब शहीद का रक्त
ऐसे निर्मल मेल से, बने भगत -सा भक्त ।
(6) फाँसी दे सोचा उन्हें, लो अब बुझी मशाल
बाढ़ भला रुकती कभी, 'अंक' रेत को डाल ।
— अंकित गुप्ता 'अंक'
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