Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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होली पर आधारित दोहे

 

*1* आज सुबह से हर तरफ़, हुआ अजब है शोर
पकड़ो, दौड़ो, रंग दो; आवाज़ें हर ओर ।


*2* गली-गली में रंग का, बरस रहा है मेघ
पिचकारी की धार का, बढ़ाते हुआ है वेग ।


*3* रंग घुला चहुँ ओर अब, उड़ा गुलाल , अबीर
पिचकारी से रंग के, छूट रहे हैं तीर ।


*4* होली पर इतना रखें, सभी मनुज बस ध्यान,
यूँ बैरंग न हो कभी, रंगों में इंसान ।


*5* द्वेष, अदावत, रंज़िशें; होली में दे फूँक
जा सबके लग जा गले, मत बैठा रह मूक ।


*6* इक जीवन में रंग भर, इक जीवन में प्रान
होली का मतलब यही, ये होली का ज्ञान ।

 


- अंकित गुप्ता 'अंक'

 

 

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