Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सबक कोरोना से

 

सबक कोरोना से

किसी ने देखा नहीं ऐसा मंजर सैकड़ो वर्षो से I

लाशो के ढेर ट्रको में भर के निकले हो II

नंना सा वायरस दिखता नहीं आँखों से I

चूर कर दिया अंहकार शक्तिशाली देशो का II

पैसे कमाने की होड़ में जो छोड़ निकलेथे घर-बार I

आज अपने परिवार को मिलने को लालायित  है II

करोड़ो की योजनाएसाफ़ ना कर पाई गंगा यमुना  को I

वो अपने आप साफ़ सुथरी होने लगी है II

सालो की योजनाए जो सुधार ना कर पाई दिल्ली की हवा I

हवा की गुणवत्ता अपने आप बेहतर होने लगी है II

जहां से बंद हो गए थे प्रकृतिके मनमोहक नज़ारे दिखने I

वो कई वर्षो बाद दिखने लगे है आज II

जालंधर से दिखता हिमालयकापहाड़ I

जंगली जीवो और पक्षियों का दिखता झुण्ड II 

साफ़ सुन्दर नीला आसमान और रात को तारो की बढ़तीगिनती I

प्रकृति के स्वस्थ होने का अद्बुधउदाहरण है II

अब यह सिद्ध हो चूका है अपने स्वार्थ के लिए I

जितना शोषण किया प्रकृति का मानव ने II

ऐसा किसी और जीव ने किया नहीं अब तक I

कोरोना ने मजबूर किया लॉकडाउन लाने को II

लॉकडाउन ने किया प्रकृति की चिकित्सा का काम I

लोग लड़ते रहते है आपस में मंदिर - मस्जिद के लिए II

पर किसी को प्रकृति और बढ़ते प्रदूषण के लिए लड़ते देखा नहीं I

इसलिए  हर किसी को सबक लेके बदलना होगा इस  प्रकृति के अनुरूप II




लेखक

अंशुल रहेजाबरवाला (हरियाणा)

मो:- ९५४०९५८६२४

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