Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

विमुद्रीकरण से उत्पन्न चुनौतियों का प्रबंधन

 

 

भारत सरकार द्वारा विमुद्रीकरण की घोषणा के बाद प्रिंट एवं इलैक्ट्राॅनिक मीड़िया में रोजाना नए-नए किस्से कहानियों की भरमार है तो वहीं विŸा मंत्रालय और रिजर्व बैंक आॅफ इंण्डिया द्वारा भी नित्यप्रति अपने आदेशों में संशोधन करना पड़ रहा है। नोटबंदी की घोषणा के बाद 500 एवं 1000 रूपये के नोटों पर पाबंदी के चलते देश के नागरिकों के समक्ष अपनी दैनिक जरूरतों की पूर्ति हेतु आवश्यक मुद्रा की कमी का संकट पैदा हो गया है तो वहीं सरकार के समक्ष विमुद्रीकरण से उत्पन्न आर्थिक संकट का प्रबंधन करने की चुनौती भी है। इसी बीच 29 नवम्बर 2016 को केन्द्र सरकार ने आयकर संशोधन बिल (धन विधेयक) में संशोधन का प्रस्ताव लोकसभा से पारित करवा लिया है और कालाधन इकट्ठा करने वालों को अपना धन घोषित करने का एक और विकल्प दिया गया है। सरकार को आजादी के बाद किए जाने वाले सबसे बडे़ कर सुधारों यानि आगामी 1 अप्रैल 2017 से लागू किए जाने वाले प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली (जी.एस.टी.) को विमुद्रीकरण के बाद उपजे हालात के दृष्टिगत उन प्रावधानों के साथ लागू करने की भी जरूरत है ताकि कालेधन के पुनः पनपने की गुंजाइश ना रहे। हाल फिलहाल तो नए 500 और 2000 रूपयों के नोटों की क्लोनिंग/स्केनिंग के बाद नकली नोटों को दूर दराज एवं घनी गरीब बस्तियों के लोगों के बीच में खपाने की खबरें भी सामने आना शुरू हो गई है। लिहाजा नकली नोटों की समस्या फिर से सिर उठा सकती है।
नोटबंदी के बाद लोगों की जेब में नकदी की कमी के चलते केवल जरूरी घरेलु उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद पर ही खर्च के चलते फिलहाल भारत बाजारों में मंदी का आलम है और उत्पाद निर्माताओं को नए आर्डर नहीं मिलने के चलते उनके यहां कार्यरŸा कामगारों और कर्मचारियों के सामने नौकरी का भी संकट खड़ा हो गया है। इसी बीच भारत सरकार, रिजर्व बैंक आफ इंडिया और अन्य बैंकों ने विज्ञापनों द्वारा भारतीय नागरिकों से कैशलेस विŸिाय लेनदेन व्यवस्था को अपनाने की पहल भी कर दी है लेकिन वर्तमान परिदृश्य के दृष्टिगत समग्र रूप से इस प्रणाली के चलन में आने में अभी लम्बा समय लगना तय है। इस समय भारत में 2 लाख के करीब ए.टी.एम. हैं और 14.5 लाख स्वाइप (पी.ओ.एस.-प्वाइंट आॅफ सेल) मशीनें हैं जोकि लगभग 130 करोड़ की आबादी की बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं। वहीं विदेशों में बेल्जियम, फ्रांस, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में 90 प्रतिशत से ज्यादा विŸिाय लेन देन के लिए नकदी रहित भुगतान प्रणाली अपनाई जा रही है। संभवतः मोदी सरकार भी इसी दिशा की ओर अग्रसर है लेकिन रास्ते में कुछ चुनौतियां भी हैं। यथा भारत में अभी 34.8 फीसदी जनता तक ही इंटरनेट क्नेक्टिविटी है। अभी पिछले दिनों ही आॅनलाइन हैकिंग के चलते देश के कई बैंकों को अपने 32 लाख खाता धारकों के डैबिट कार्ड कैंसिल करने पडे़ थे। नेटबैंकिंग के लिए भी लोगों का शिक्षित होना जरूरी है।
कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढावा मिले इसके लिए केन्द्र सरकार ने स्वाइप मशीनों पर लगने वाला 12.5 फीेसदी केन्द्रीय उत्पाद कर और 4 फीसदी एस.ए.डी. कर को आगामी 31 मार्च 2017 तक हटा लिया है। नोटबंदी के बाद उपजे हालातों में बैंकिंग तंत्र से जुडे़ लोगों की भूमिका काफी बढ़ गई है। आर.बी.आई को भी 5, 10, 20, 50 और 100 रूपयों के नोटों की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत है। इसमें भी 5, 10, 20 और 50 रूपये वाले नए नोट पिछले कुछ सालों से आसानी से बैंकों में उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते यह नए नोट कथित रूप से ब्लैक में पहले ही नोटों वाले हार बनाने वाले दुकानदारों के पास पहुंच जाते हैं इस प्रवृŸिा पर रोकथाम लगाना जरूरी है।
रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया को दुर्गम और ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों में राष्ट्रीयकृŸा बैंकों की संख्या बढ़ाने की भी जरूरत है। हिमाचल प्रदेश के ऐसे क्षेत्रों में प्रदेश के सहकारी अथवा राज्य एवं जिला स्तरीय बैंक ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं वहां राष्ट्रीयकृत बैंक अपनी नई शाखाएं खोलने में परहेज बरतते हैं। ए.टी.एम. की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा व्यवस्था को भी पुख्ता बनाने की जरूरत है क्योंकि हिमाचल में तो प्रायः ए.टी.एम. को लूटने की वारदातें सामने आती रही हैं। बैंकों की नई शाखाएं खोलने के साथ ही नए अधिकारियों और कर्मचारियों विशेषकर क्लेरिकल स्टाॅफ की नई नियुक्तियां करने की भी नितांत आवश्यकता है। केन्द्र एवं राज्य सरकारों को अर्धशिक्षित एवं अपना अधिकŸार लेन देन नकदी में करने वाले नागरिकों को कैशलेस व्यवस्था अपनाने हेतु प्रेरित करने के लिए विशेष अभियान शुरू करने की जरूरत है, साथ ही बैंकिंग व्यवस्था में सेंध लगाने वाले हैकर्स और साइबर अपराधियों से आम नागरिकों को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए विशेष उपाय खोजने की जरूरत भी है। आर.टी.जी.एस. (रियल टाइम ग्राॅस सेटलमेंट सिस्टम), एन.ई.एफ.टी., आई. एम.पी.एस. और नेटबैंकिंग के अलावा मोबाईल बैंकिंग द्वारा विŸिाय लेनदेन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। आज भी बड़ी संख्या में राज्य एव केन्द्र सरकारों के पैंशनर्स पहली तारीख को सुबह ही बैंकों के दरवाजों पर स्वयं अपनी पैंशन का भुगतान प्राप्त करने के लिए लाईन में खडे़ मिल जायेंगे, इनमें भरोसा जगाने की जरूरत है क्योंकि उन्हें विŸिाय असुरक्षा के चलते ए.टी.एम. कार्ड जैसी सामान्य सुविधाओं पर भी भरोसा नहीं है। नोटबंदी के बाद उपजे हालातों के मद्देनज़र कालाधन, सफेद करने वाले लोगों द्वारा अपनाए जा रहे नए-नए तौर तरीकों से निपटने के लिए केन्द्र सरकार को सख्त कानूनी प्रावधानों को करने और कड़ी कानूनी कारवाई को अमल में लाने की जरूरत है। इसके साथ ही बैंकिंग तंत्र से जुडे़ अफसरों एवं कर्मचारियों का निष्ठापूर्वक इन हालात में अनथक रूप से अपनी सेवाएं देने के लिए नागरिक अभिनन्दन करने के साथ-साथ आर्थिक लाभ यथा बोनस इत्यादि दिये जाने की भी व्यवस्था होनी चाहिए।

 

 


अनुज कुमार आचार्य

 

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ