Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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धरातल पर साकार हों राजमार्गों की घोषणाएं

 

 

हिमाचल प्रदेश एक पर्वतीय राज्य है और यहाँ लगभग 90 वर्ष पूर्व अंग्रेजों के शासनकाल में पठानकोट-जोगिन्दरनगर और कालका-शिमला के बीच बिछाई गई रेल लाइनों के अलावा यातायात का यदि अन्य कोई बड़ा विकल्प है तो वह सड़क मार्ग ही हैं । हिमाचल प्रदेश में अभी भी औद्योगिक गतिविधियां न्यूनतम स्तर पर हैं लेकिन पर्यटन ज़रूर एक ऐसा माध्यम है जिसके विकास से न केवल रोज़गार अपितु राज्य की आर्थिकी को भी पंख लग सकते हैं । सैलानी बिल्लिंग जैसी जगहों पर टेंडम फ्लाईट्स का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो वहीं बड़ी जलविधुत परियोजनाओं को नज़दीक से देखना चाहते हैं । इसलिए सैलानियों की आवाजाही के लिये भी उन्नत,चौड़ी एवं साफ-सुधरी सड़कों की दरकार है । वैसे भी भारत जैसे देश में आम आदमी के लिए हवाई सफ़र अभी भी पहुँच से बाहर बना हुआ है तो वहीं जलमार्गों द्वारा परिवहन की सुविधाएं भी नगण्य ही हैं । हां रेल परिवहन ज़रूर देश के एक सिरे को दूसरे सिरे से जोड़ता है परंतु कम तथा मध्यम दूरी के सफ़र को तय करने और राज्यों के भीतर यातायात का सर्वाधिक सुगम एवं सस्ता साधन सड़क परिवहन ही है क्योंकि यह आपको घरद्वार तक आपकी पहुंच आसान बनाता है । पहाड़ी राज्यों में जहाँ रेल एवं हवाई सफ़र की सुविधाएं नगण्य होती हैं वहाँ तो सड़कों का महत्व अपने आप ही बढ़ जाता है ।
हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में लगभग 35 हज़ार किलोमीटर सड़कों का लम्बा संजाल तो बिछा है लेकिन उनकी चौड़ाई,मज़बूती,टारिन्ग,क्रेश बेरिएर्स की स्थापना और ब्लेक स्पॉट्स को लेकर अभी भी कई दुश्वारियां और समस्याएँ हैं । कई जगहों पर सड़कें इतनी संकरी हैं की सामने से आ रहे किसी दूसरे बड़े वाहन को पास देते हुए जान सूखकर हल्क में आ जाती है । कच्ची और अधकच्ची तथा टूटी-फूटी सड़कों पर सफ़र जहाँ नये वाहनों की सेहत के लिए हानिकारक है वहीं अधिकाँश दुर्घटनाओं में अपनी कीमती जान गवांते हिमाचली परिवारों के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं है । सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में होने वाले सड़क हादसों में सर्वाधिक युवा दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं । दुनिया भर के कुल वाहनों में भारत की हिस्सेदारी मात्र 01 प्रतिशत है लेकिन दुनिया की कुल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में भारत की हिस्सेदारी 10 फीसदी से ज़्यादा है । विश्व स्वास्थय संगठन की ग्लोबल स्टेट्स रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी -2015 के मुताबिक हर साल विश्वभर में 12लाख से ज़्यादा लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं । भारत में ही वर्ष 2016 की अवधि में एक लाख पचास हज़ार लोग सड़क हादसों में मारे गए थे । उनमें भी 18 से 35 आयुवर्ग के युवाओं की कुल संख्या 80 हज़ार 473 थी । सड़क हादसों के पीछे मुख्यत: तेज रफ्तारीहेलमेट न पहनना,शराब पीकर गाड़ी चलानासीट बेल्ट नहीं बाँधना जैसे कारण तो हैं ही वहीं टूटी-फूटी सड़कें भी मुख्य वजहें हैं ।
पिछले वर्ष केन्द्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को 17 नये राष्ट्रीय राजमार्गों की सौगात दी थी । इसके अलावा धर्मशाला-शिमला और पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्गों को फोरलेनिंग में बदलने की घोषणाएँ भी हुई हैं ,उम्मीद है की इन घोषणाओं के सिरे चढ़ने से राज्य में सड़कों की सेहत में सुधार एवं निखार आयेगा । भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन संसद के अधिनियम के तहत 1988 को किया गया था । यह प्राधिकरण सम्पूर्ण भारत के राज्यों में घोषित राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास,निर्माण एवं रख रखाव के लिये जिम्मेवार है । दिल्ली,मुम्बई,चैन्नई और कोलकाता के 5 हज़ार 846 किलोमीटर लम्बे स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अलावा भारत में फैले कुल 92 हज़ार 851 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और रखरखाव की जिम्मेवारी भी इसी प्राधिकरण के पास है । भारत की कुल सड़कों की लम्बाई का मात्र 2 प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्गों के अधीन आता है लेकिन यातायात व्यवस्था का 40 प्रतिशत बोझ भी यही एन एच उठाते हैं । वर्तमान में भारत में ग्रामीण और अन्य सड़कों की कुल लम्बाई 33 लाख 37 हज़ार 255 किलोमीटर है तो राज्य राजमार्गों की लम्बाई 01 लाख 67 हज़ार 109 किलोमीटर और राज्य लोकनिर्माण विभाग तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाओं आदि में निर्मित सड़कों की कुल लम्बाई 11 लाख 01 हज़ार 178 किलोमीटर है ।
हिमाचल प्रदेश में पठानकोट-मंडी की बात करें तो यह राष्ट्रीय राजमार्ग अभी भी कई जगहों पर संकरा,तंग और सड़क टूटी हुई है । हालांकि बरसात से पहले राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने बैजनाथ- पालमपुर मार्ग की मुरम्मत एवं टारिन्ग का काम करवाया था लेकिन पिछले महीनों में बारिश के चलते एनएच का यह हिस्सा पुनः उखड़ गया है जिस वजह से 16 किलोमीटर लम्बे मार्ग पर वाहन चालकों को भारी असुविधा हो रही है तो वहीं वाहनों में खराबी से भी इंकार नहीं किया जा सकता है । इन दिनों इसी राजमार्ग के बैजनाथ-पपरोला कस्बों के तंग बाज़ारों को चौड़ा करने की कवायद चल रही है जो वक्त का तकाजा भी है और स्वागत योग्य कार्य है । नियमित रूप से जाम की आँच झेलने वाले इन दोनों बाज़ारों के अलावा जिला कांगड़ा के ही नूरपुर,कोटला,शाहपुर, कांगड़ा,मटौर,नगरोटा बगवां,मारन्डा,पालमपुर के बाद बैजनाथ-पपरोला और जोगिन्दरनगर के तंग बाज़ारों से अपना वाहन सुगमता पूर्वक निकाल ले जाना कोई इतना आसान काम भी नहीं है ।
पिछले दशक में हिमाचली नागरिकों ने भी दोपहिया-चोपहिया वाहनों की जमकर खरीद की है । इसके अलावा लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के चलते लोगों के दिलों में पर्यटन के प्रति चाहत भी बढ़ी है । चूंकि जम्मूकश्मीर राज्य आतंकवाद के चलते पिछले तीन दशकों से अशांत चल रहा है इसलिए देश-दुनिया के अधिकाँश पर्यटक शांत प्रदेश हिमाचल की ओर रुख़ कर रहें हैं । रेल यातायात व्यवस्था सुलभ न होने के कारण इस पहाड़ी राज्य में सफ़र का दारोमदार अधिकतर सड़क मार्ग पर ही निर्भर रहता है । इसी वजह से इस एनएच पर पड़ने वाले ज्यादातर छोटे संकरे बाज़ारों में प्रायः जाम के हालात बने रहते हैं । इस बार गर्मियों के सीजन में भी बीड़-बिल्लिंग में पेराग्लाईडिंग साईट पर पहुँचने के लिए पर्यटकों तथा स्थानीय लोगों को लम्बे लम्बे जामों का सामना करना पड़ा था । इसलिए जाम वाले हालात से जूझने वाले कस्बों-शहरों के बाहर से तत्काल बाईपास सड़कमार्गों के निर्माण में कोताही लोगों और पर्यटकों को महँगी पड़ रही है ।
वाहन चालकों विशेषकर युवा चालकों को भी सड़कों की स्थिति के मद्देनजर ही अपने वाहनों की गति नियंत्रित रखते हुए वाहन चलाने की ज़रूरत है ताकि उनके परिवारों को भी उनके सुरक्षित वापिस घर लौट आने की आस बनी रहे । विभागों को भी चाहिये की विकास सम्बन्धी जो भी घोषणाएँ हों बाद में उनकी प्रगति और योजना के धरातल पर उतरने की वास्तविकता से आम जनता को समय समय पर सूचित किया जाना चाहिये I उम्मीद है की राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के उच्चाधिकारी स्वयंमेव बैजनाथ-पालमपुर राजमार्ग का मौका ए मुआयना करेंगे तथा शीघ्रता से इसके सुधार हेतु आवश्यक कार्यवाही करेंगे । जीवन संक्षिप्त है प्रत्येक भारतीय का सपना है की उसे भी पाश्चात्य शैली की तर्ज़ पर आधुनिकतम चौड़ी सपाट एवं सुंदर सड़कों पर सफ़र करने का अवसर मिले । आशा है की केन्द्र एवं राज्य सरकार ज़रूर हिमाचली स्वपनों को साकार करने की पहल करेंगी ।

 

 

 

 


अनुज कुमार आचार्य

 

 

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