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हिमाचली कस्बे भी बनें स्मार्ट

 

 

अनुज कुमार आचार्य
यह बेहद प्रसन्नता का विषय है कि आखिरकार निष्पक्षता का परिचय देते हुए केन्द्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर का चयन ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ के अन्तर्गत कर ही लिया। इससे निश्चित रूप से विकासात्मक गतिविधियों की एक नई अवधारणा को हम धरातल पर साकार होते देखेंगे। अब तक 33 भारतीय शहरों को ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ के अन्तर्गत शामिल किया गया है और इस मिशन के तहत अब धर्मशाला शहर को विकासात्मक कार्यों को सिरे चढ़ाने के लिए आगामी पांच वर्षों मंें करोड़ों रूपयों की सौगात मिलेगी। 2011 की जनगणना के मुताबिक हिमाचल प्रदेश की कुल आबादी 68 लाख 64 हजार 602 थी। जिसमें से 6 लाख 88 हजार 552 लोग 59 शहरी क्षेत्रों में निवास कर रहे थे। बीते दशकों मंे हिमाचल प्रदेश के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय में बढ़ौत्तरी हुई है और उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। अब लगभग सभी गांव-कस्बों में भव्य आवासीय भवनों का निर्माण और वाहनों की खरीद में बढ़ौत्तरी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। जाहिर सी बात है कि इसके पीछे जहां सरकारों की विकासात्मक नीतियां जिम्मेवार हैं तो वहीं हिमाचलियों की अपनी मेहनत और आर्थिक समृद्धि के प्रति सकारात्मक सोच भी जिम्मेवार हैं
पिछले तीन दशकों में हिमाचल प्रदेश के कई बड़े गांवों की आबादी बढ़ी है तो वहीं छोटे कस्बों ने अब शहरी आवरण ओढ़ लिया है। बड़े महानगरों की जीवन शैली की आहट अब स्पष्ट रूप से बड़ी तेजी से विकसित हो रहे इन हिमाचली कस्बों एवं शहरों में भी महसूस की जा सकती है। अब यह समय की मांग है कि हिमाचल प्रदेश सरकार इन क्षेत्रों की आबादी की सुविधाओं में इज़ाफे के दृष्टिगत एक ‘मास्टर प्लान’ तैयार करे और वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था की जाए। अब इन क्षेत्रों के नागरिकों की भी यह चाहत है कि उनके इलाकों की गलियों का चैड़ाईकरण हो, कंकरीट की पक्की गलियां बनें और कुछ स्वार्थी प्रवृति के नागरिकों द्वारा बाड़ों द्वारा गलियों के अतिक्रमण एवं कब्जों को छुड़ाया जाए। सीवरेज व्यवस्था हो, स्ट्रीट लाइटें लगें, मल्टीस्टोरी पार्किंग बने, मिनी बसें अथवा बैटरी चालित रिक्शा चलें। फुटपाथों का निर्माण हो और बाजारों एवं सड़कों पर से नाजायज कब्जों, अतिक्रमण को हटवाया जाए और ट्रैफिक जाम की समस्या से निज़ात दिलवाई जाए। शहरी क्षेत्रों में अव्यवस्था एवं अराजकता का माहौल समाप्त हो, अपराधों पर अंकुश लगे और भीड़भाड़ वाले इलाकों में सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती की जाए ताकि आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों में भय पैदा हो। बेलगाम बाइकर्स और वाहन चालकों को दंडित किया जाना जरूरी है। तरल एवं ठोस अपशिष्ट पदार्थों का निपटारा हो और संयुक्त रूप से 2-3 बड़े शहरों के बीच में एक कूड़ा-कचरा प्रबन्धन संयंत्र की स्थापना की जानी चाहिए, सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति के साथ-साथ उन्हें छोटे वाहन उपलब्ध करवाए जाएं एवं इनके कामकाज की निगरानी हो इसके लिए सख्त नियम बनने चाहिए। बड़े पैमाने पर तहसील एवं उपमंडल स्तर पर ई-गवर्नेंस प्रणाली लागू हो और सी.सी.टी.वी. प्रणाली द्वारा भ्रष्ट कर्मचारियों के कामकाज की निगरानी की जाए ताकि सामान्य गरीब जनता का आर्थिक शोषण बन्द हो।
आज बड़े पैमाने पर भू-माफिया द्वारा अपनी काली कमाई से ग्रामीण क्षेत्रों एवं कस्बों के साथ लगती जमीनों को कथित ऐजेन्टों द्वारा खरीद कर बेनामी नामों से पंजीकृत करवाया जा रहा है। इस प्रकार की गतिविधियों पर तुरन्त लगाम लगनी चाहिए। शुरूआती विरोध के बावजूद जिस प्रकार से प्रदेश के शहरी विकास मंत्री श्री सुधीर शर्मा ने धर्मशाला शहर को नगर निगम का दर्जा दिलवाकर अब उसे ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ में शामिल करवाकर अपनी दूरदर्शिता एवं विकासात्मक सोच का परिचय दिया है उससे अब छोटे कस्बों/शहरों के निवासियों की शहरी विकास मंत्रालय से अपने-अपने क्षेत्रों के लिए भी धर्मशाला शहर की तर्ज पर विकास सम्बन्धी नीतियां बनंे ऐसी आशाएं बढ़ना स्वाभाविक ही है। पिछले कुछ वर्षों मंे विकास के प्रति नागरिकों की चाहत बढ़ी है तो वहीं आबादी बढ़ने के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं में इज़ाफे की मांग भी बढ़ी है। पिछले 8-9 महीनों से पंचायतों में विकास सम्बन्धी कार्य रूके पड़े हैं। वर्षा जल संग्रह टैंक खोद दिये गए हैं तो सीमेंट की आपूर्ति न होने से उनका काम रूका पड़ा है। सभी सरकारी योजनाएं शुरू होने के बाद कामयाबी से धरातल पर साकार रूप लें इसके लिए प्रशासनिक अमले को ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड में जाना होगा और मौका-ए-मुआएना कर आवश्यक कार्यवाही करनी होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले महीनों मंें हिमाचल प्रदेश सरकार अपने शहरी विकास-मंत्रालय एवं पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालयों के सुन्दर तालमेल से ग्रामीण पंचायतों के साथ-साथ कस्बों एवं शहरों में धर्मशाला सिटी की तर्ज पर कोई ठोस योजना लेकर सामने आयेगी और आवश्यक वित्तीय इंतजामात से इन इलाकों में भी बुनियादी सुविधाओं में बढ़ौत्तरी हेतु आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

 


अनुज कुमार आचार्य

 

 

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