आरंभिक शिक्षा-दीक्षा प्राप्त कर जब हम धीरे-धीरे जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं और सृष्टि में अपने आस-पास की गतिविधियों का मूल्यांकन करने लगते हैं तो कहीं न कहीं हमें यह अहसास हो जाता है कि हमें प्राप्त जीवन, ईश्वरीय उपहार है जो हमें अपनी चेतनावस्था के अनुसार एक बार मिला है, इसलिए हमें इस जीवन के प्रत्येक क्षण का भरपूर आनंद लेना है। इसी के साथ भारतीय धर्म, ज्ञान दर्शन और संस्कृति के अनुसार, हमारा जीवन आध्यात्मिकता से ओत प्रोत है क्योंकि यहां मानवीय आत्मा को परमपिता परमात्मा से जोड़कर देखने की परम्परा है। इतना ही नहीं इस सृष्टि की प्रत्येक गतिविधियां, प्रकृति, पशु-पक्षी और मनुष्य जीवन के क्रियाकलाप यह स्पष्ट संकेत देते हैं कि इस सम्पूर्ण जगत का कोई न कोई नियंता और पालनहार है।
ईश्वर प्रदŸा इस अद्भुत जीवन यात्रा का भरपूर आनंद उठाने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी कार्यशैली और तौर तरीकों में बदलाव लाएं। खिलते-हंसते चेहरे सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, इसलिए खूब हंसे, मुस्कुराएं और अपने साथ-साथ दूसरों को भी खुश रखें। संभव हो तो बड़े बुजुर्गों और नन्हें बच्चों के बीच में रहकर भी कुछ समय बिताएं। अच्छी सेहत से ही सुन्दर जीवन की कल्पना की जा सकती है। अतएव हमेशा सेहतमंद बने रहने के लिए सैर करें, व्यायाम करंे, खेलों में भाग लें ताकि शारीरिक तंदुरूस्ती बरकरार रहे और ऊर्जा का स्तर भी ऊंचा हो, साथ में रात को भरपूर नींद भी लें ताकि अगले दिन के लिए पुनः तरो ताजा होकर अपने कार्यों में जोश खरोश से जुट जाएं। प्रतिदिन अपनी सुविधानुसार एकांत में बैठें और अपने जीवन को सुन्दर एवं उŸाम बनाने के लिए स्वयं अपने अंतर्मन से विमर्श करें, अपना साक्षात्कार करें। एक निर्धारित समय पर ज्ञानवर्धक पुस्तकों को भी पढ़ें ताकि हमें बौद्धिक खुराक भी मिलती रहे और हमारा विवेक भी जागृत रहे। प्रातः उठकर ध्यान लगाएं, योग का नियमित अभ्यास करें। जितना ज्यादा हो सके स्वच्छ पेयजल पीयें, संतुलित फाइबर युक्त भोजन करें। नकारात्मक विचारों से दूर रहकर सकारात्मक सोच को अपनी ताकत बनाएं एवं गप्पशप्प बाजी से दूर रहें। अपना कीमती समय ईष्र्या, द्वेष, निंदा करने जैसी बुराईयों में न गंवाकर अपनी ऊर्जा रचनात्मक कार्यों में लगाएं। जहां तक हो सके साप्ताहिक आधार पर समाज सेवा के लिए भी समय निकालें। यदि संभव हो सके तो गरीबों के बच्चों को मुफ्त पढाएं, अपनी गलियों में स्वच्छता अभियान आदि चलाएं। वर्तमान में जीने की आदत डालें और गढे़ मुर्दे न उखाडे़ं।
जीवन रूपी पाठशाला में हमें कई तरह के सबक सीखने पड़ते हैं। छोटी-बड़ी समस्याएं पैदा होना भी मानवीय जीवन का अंग हैं। लेकिन यहां सीखे गए अनुभव हमारी आगामी जीवन यात्रा को सुगम एवं सफल बनाते हैं। कभी भी अपनी जिंदगी की तुलना दूसरों के साथ न करें क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के तौर तरीके भिन्न होते हैं। दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, पीठ पीछे क्या कहते हैं अथवा आपके बारे में क्या राय रखते हैं यह उनकी सिरदर्दी है। अपने आपको व्यर्थ की सोच में न उलझाएं। जीवन में आने वाली हर अच्छी बुरी परिस्थितियां सदैव एक समान नहीं रहती हैं, वे बदलती रहती हंै अतएव हमें निरन्तर कर्मशील बने रहना चाहिए। दूसरों के प्रति ईष्र्या भाव रखना अपना दिमागी संतुलन बिगाड़ने जैसा है। जीवन के किसी भी दौर में आप शिखर पर पहुंच सकते हैं इसलिए उठें, तैयार हो और अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करते रहें। अपनी क्षमताओं को बढ़ाते रहें हमेशा आगे बढते रहें और सदैव सही काम करें।
हमें यह भी याद रखना चाहिए की दुख जीवन में इसलिए आते हैं ताकि हम सुख के महत्व एवं मूल्य को समझ सकें। ईमानदारी को अपने जीवन में अपनाएं और उसे जीएं भी। युवाओं को चाहिए की वे अपनी कमजोरियों को पहचाने और उन्हें दूर करें। अपने सपनों को साकार करने के लिए हमें पहले अपने मन की सुननी चाहिए फिर अपना लक्ष्य निर्धारित कर कड़ी महेनत से अपने मुकाम को हासिल करने के लिए प्राण पण से जुट जाना चाहिए। कामयाबी पाने के सफर में अनेकों उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन यदि इंसान के इरादे बुलंद हों तो सफलता जरूर मिलती है। इसी प्रकार आगे बढने के लिए कई बार हमें जोखिम भी उठाना पड़ता है लेकिन सोच विचार कर उठाया गया जोखिम प्रायः हमें सफलता की ओर ले जाता है। जीवन का अर्थ प्रत्येक प्राणी अपनी पारिवारिक परिस्थितियों परिवेश, विचारों और संस्कारों के अनुसार निर्धारित करता है लेकिन जीवन में कुछ बनने अथवा पदवी हासिल करने के लिए कठोर परिश्रम ही फलदायक साबित होता है।
अनुज कुमार आचार्य
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