भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है और यहां अमूमन प्रत्येक पांच वर्षों के बाद चुनावी प्रक्रिया द्वारा केन्द्र अथवा राज्य सरकारों को चुनने के लिए जनता जनार्दन मतदान करती है। भारत मंे राजनीतिक दलों के चुनावी वायदों एवं घोषणाओं के आधार पर मतदाता वोट तो डालता ही है लेकिन अधिकतर मामलों मंे धर्म, जाति, वर्ग अथवा सम्प्रदाय के आधार पर भी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया जाता है। वर्ष 2014 में जब भारतीय लोकतंत्र के महापर्व यानि 16वीं लोकसभा के चुनाव हुए तो कुल पंजीकृत लगभग 80 करोड़ भारतीय मतदाताओं मंें से 50 करोड़ के करीब नागरिकों ने अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 282 सीटों का निर्णायक बहुमत देकर वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की घोषणाओं, वायदों एवम् नीतियों पर अपना भरोसा जताया था।
लगभग 15 महीने बीत जाने के बाद भारतीय नागरिकों में यह चर्चा होना स्वाभाविक ही है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपनाई गई नीतियां कितनी कारगर सिद्ध हो रही हैं। उनकी क्या उपलब्धियां हैं और अभी भी क्या चुनौतियां शेष हैं ? विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है लिहाजा इन गतिविधियों पर कभी भी विराम नहीं लगता है। आज भारत की 65 फीसदी आबादी 35 वर्ष के आयु वर्ग से नीचे की है अर्थात् युवा है। इतने बड़े मानव संसाधन को न केवल कौशलयुक्त एवं हुनरमंद बनाने की चुनौतियां हैं अपितु इनके लिए रोजगार एवं इनकी क्षमताओं के उचित दोहन पर भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त 125 करोड़ भारतीयों की अपेक्षाओं, उम्मीदों का पूरा करना, विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं और नीतियों को लागू करके उनके जीवन स्तर में सुधार लाना अपने आप मंे बेहद श्रमसाध्य और चुनौतीपूर्ण कार्य है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री जी पर भारतीय संघ की राज्य सरकारों के साथ तालमेल बिठाकर बेहतरीन परिणाम निकालने की चुनौती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के अलावा क्षेत्रीय असंतुलन को दूर कर विभिन्न राष्ट्रों के साथ व्यापार, औद्योगिक एवं तकनीक के क्षेत्रों मंें आपसी समझौते करना, उनको धरातल पर उतारना प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं मंें रहा है।
जहां तक प्रधानमंत्री की नीतियों का सवाल है तो उन्होंने पुराने ‘‘भारतीय योजना आयोग’’ को समाप्त कर उसकी जगह ‘‘नीति आयोग’’ अर्थात् ‘‘नेशनल इंस्टिट्यूट फाॅर ट्रांसफारमिंग इंडिया’’ की स्थापना की है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता मंे ‘‘नीति आयोग’’ की स्थापना 01 जनवरी 2015 को दिल्ली मंे की गई थी। यह संस्थान केन्द्र सरकार के ‘‘थिंक टैंक’’ के रूप मंें अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। इसका पहला उपाध्यक्ष अर्थशास्त्री श्री अरविन्द पणगरिया को बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने ‘‘मेक इन इंडिया’’ के अन्तर्गत नई नौकरियों की व्यवस्था एवं गरीबी हटाने का लक्ष्य रखा है। 2022 तक सभी प्रकार की सबसिडी में कमी लाना, सबके लिए घर की व्यवस्था, स्वच्छ पेयजल, बिजली, शौचालय, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं युवाओं को हुनरमंद बनाने का लक्ष्य लेकर प्रधानमंत्री जी काम कर रहे हैं। इसके अलावा राजस्व घाटे को 4.5 प्रतिशत से कम रखने की कोशिशें भी जारी हैं।
पिछले वर्ष 02 अक्तूबर 2014 को प्रधानमंत्री जी ने महात्मा गांधी की जयंती पर ‘‘स्वच्छ भारत अभियान’’ की शुरूआत की थी और 2019 तक सम्पूर्ण भारत को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ‘‘नमामि गंगे परियोजना’’ पर भी तेजी से कार्य जारी है। 20 हजार करोड़ रूपयों के कोष के साथ ‘‘मुद्रा बैंक’’ अर्थात् ‘‘माइक्रो यूनिट्स डिवेलपमेन्ट एण्ड रिफाइनांस ऐजेन्सी’’ द्वारा छोटे उद्यमियों को 50 हजार से 10 लाख रूपयों तक का ऋण उपलब्ध करवाया जायेगा। 100 स्मार्ट शहरों की सूची जारी की जा चुकी है, जिसमें हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर को भी चयनित किया गया है। कोयला ब्लाॅक एवं स्पैक्ट्रम की नीलामी द्वारा भी अतिरिक्त राजस्व जुटाया जा रहा है। रेल, रक्षा, बीमा, पेंशन इत्यादि क्षेत्रों मंें विदेशी निवेश को बढ़ाने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा, जीवन ज्योति बीमा योजना, जन-धन योजना, अटल पेंशन योजना, रोजगार योजना, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, कौशल विकास योजना जैसी नवीनतम योजनाओं को सिरे चढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा भारतीय जनता की समृद्धि को बढ़ाने हेतु काम किया जा रहा है। हाल ही में, प्रधानमंत्री द्वारा सशस्त्र सेनाओं के भूतपूर्व सेनिकों की ‘‘वन रेंक वन पैंशन’’ योजना को स्वीकृति प्रदान करना उनकी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की इन योजनाओं और नीतियों को लागू करने में उनकी राह मंें कुछ चुनौतियां भी शेष हैं यथा-भूमि अधिग्रहण बिल से पीछे हटना, जी.एस.टी बिल का पास न होना, काले धन पर लगाम कसना, सरकारी बैंकों का विलय करना और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा प्राधिकरण की पुणे में स्थापना करना ताकि इसके द्वारा स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन पर नजर रखी जा सके। जाहिर सी बात है कि 125 करोड़ की विशाल आबादी वाले भारत राष्ट्र को द्रुतगति से विकास के पथ पर ले जाने के लिए कुछ तैयारियां तो करनी ही पड़ेंगी। पिछले 15 महीनों के अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय विकास को तेज करने एवं उत्तम मानवीय जीवन हमारे नागरिकों को मय्यसर हो इसके लिए जो खाका एवं ताना-बाना बुना है, उसे जमीनी स्तर पर लागू करने में व्यापक तैयारी एवं समय तो लगेगा ही, लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले वर्षों में इन योजनाओं और नीतियों के क्रियान्वयन के बेहतरीन परिणाम भी राष्ट्र के समक्ष आयेंगे और निःसन्देह भारत आर्थिक रूप से समृद्ध एवं शक्तिशाली राष्ट्र बनकर उभरेगा।
अनुज कुमार आचार्य
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