अनुज कुमार आचार्य
वर्तमान प्रगतिशील दुनिया में प्रत्येक मानवमात्र की यह हार्दिक इच्छा होती है कि वह एक सफल इंसान बने, सफल कहलाए अथवा समाज के अन्य नागरिक उसकी सफलता का उदाहरण दें। क्या वास्तव मंें सफलता पाने की डगर इतनी ही आसान है ? हमें यह भी नहीं भूलना है कि जिस समाज, पास-पड़ोस एवम् कार्यक्षेत्र में हम रहते हैं वहां के लोगों के आचरण, व्यवहार एवं कार्यशैली से हम प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। लिहाजा सफलता प्राप्ति से जुड़े सूत्रों पर प्रतिदिन अध्ययन, चिंतन, मनन एवम् आचरण करने से ही हम अपना एक अलग उच्च चारित्रिक व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं एवम् दूसरों के लिए आदर्श उदाहरण बन सकते हैं। हमें अपने दिन की शुरूआत हंसी, मेल-मिलाप और आत्मीयता से परिपूर्ण होकर करनी चाहिए। निश्चित रूप से इससे हमारा सारा दिन भी प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। वस्तुतः प्रसन्नता रेडीमेड नहीं मिलती है, इसे हम अपने अच्छे कार्यों एवं अच्छी सोच से प्राप्त कर सकते हैं।
किसी भी कार्य मंे सफलता पाने के लिए जरूरी है कि हमारे मन में उसको पाने के प्रति अदम्य इच्छा हो। इसलिए सपने को सच करने से पहले सपना देखना निहायत ही जरूरी है। इसके लिए हमारा लक्ष्य पहले से ही निर्धारित होना चाहिए वर्ना लक्ष्यविहीन होकर हम यहां-वहां भटककर अपनी ऊर्जा बर्बाद करते रहेंगे। अपने मिशन में कामयाब होने के लिए हमारी एकमात्र साधना अपने लक्ष्य को पाने की होनी चाहिए। लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि हम अच्छा निर्णय अच्छे ज्ञान एवम् विवेक के आधार पर ही ले सकते हैं। ज्ञान एक ऐसा शक्तिशाली हथियार है जिसके द्वारा हम स्वयं के साथ-साथ विश्व को भी बदल सकते हैं और ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है। शास्त्रों मंे तो यहां तक वर्णित है कि, ‘‘यदि लक्ष्य की सिद्धि न हो तो वह विद्या व्यर्थ है।’’ अर्थात् दोष विद्या, ज्ञानार्जन में नहीं है बल्कि दोष उस प्राणी मात्र का है जो विद्या के होते हुए भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाया। इसलिए हमेशा सही मार्ग पर चलते हुए हम प्रगति पथ पर अग्रसर होना चाहिए। एक कामयाबी मिलने के बाद आप ठहरें नहीं, तत्काल दूसरे लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जाएं। कहते हैं कि हम जैसा सोचते हैं हम वैसा ही बन जाते हैं, इसलिए अपनी सोच ऊंची एवं सकारात्मक रखें। यह भी याद रखें कि, जीवन में आप रूपया-पैसा कमाकर वह प्रभाव नहीं पैदा कर सकते हैं, जैसा प्रभाव जीवन मूल्यों एवम् नैतिकता से परिपूर्ण जीवन द्वारा छोड़ सकते हैं। अमूमन आपकी कामयाबी ही आपके दुश्मनों एवम् आपका अहित चाहने वालों के लिए एक करारा सबक होती है। इसलिए सफलता के सुपथ पर आने वाली प्रत्येक बाधा और रूकावट से कभी भी अपना मनोबल कमजोर न होने दें और कठोर परिश्रम करने से कभी जी न चुरायें। सफलता पाने का एक प्रमुख सूत्र जो कि हेनरी फोर्ड ने दिया था के शब्दों में, ‘‘यदि आप यह सोचते हैं कि आप कर सकते हैं और यदि आप सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते हैं, तो दोनों ही परिस्थितियों में आप सही होते हैं।’’ इसका अभिप्राय यह भी हो सकता है कि सफलता तथा विफलता और कहीं नहीं हमारे ही अंदर विचारों, भावनाओं और सोच में छिपी होती है लिहाजा हमेशा सकारात्मक सोचें और ऊर्जावान बने रहें। वैसे भी हम जैसा सोचते हैं, विश्वास करते हैं, वैसा ही हासिल कर भी लेते हैं। शायद इसलिए कहा गया है कि, ‘‘मन के जीते जीत है मन के हारे हार।’’ सफलता के मार्ग का एक अन्य प्रमुख कारण है समय की कीमत को पहचानना। चूंकि मानवीय जीवन बेहद संक्षिप्त है इसलिए एक-एक क्षण को अहमियत दें।
जिन्दगी में खुशियों से ज्यादा तनाव, कमियां, दुःख, अकेलापन और तकलीफें हैं। हमें हमेशा इन पर ही ध्यान केन्द्रित करके अपनी तकलीफों मंे और इज़ाफा नहीं करना चाहिए। महर्षि वेदव्यास जी ने कहा था कि, ‘‘नर्हि मनुस्यात श्रेष्ठतरः ही किंचित।’’ अर्थात् मनुष्य से श्रेष्ठ इस सृष्टि में और कुछ भी नहीं है। मनुष्य जीवन दुर्लभ एवम् अनमोल है इसकी कद्र करें, इसकी कीमत पहचानें और ईश्वर प्रदत्त इस मानवीय जीवनरूपी उपहार को ठीक से इस्तेमाल करें। जिस इंसान ने जीवनरूपी यात्रा में कोई कठिन परीक्षा ही नहीं दी तो उसने कुछ सीखा ही नहीं। जीवन के उतार-चढ़ाव ही हमें मानसिक रूप से सबल बनाते हैं। यह हमारा दृढ़ संकल्प और हौंसला ही होता है जो जीवनरूपी परीक्षाओं मंें खरा उतरने मंें हमारी मदद करता है। हमेशा याद रखें, अपने सपनों को चुराने न दें।
अनुज कुमार आचार्य
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