अपनी हर पीर ज़माने से छुपाना सीखे।
दूसरा रूप कोई सबको दिखाना सीखे।
उसको होशियार बताती है फ़क़त ये दुनिया,
जो इशारों में उसे नाच नचाना सीखे।।
अनुराग अतुल
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अपनी हर पीर ज़माने से छुपाना सीखे।
दूसरा रूप कोई सबको दिखाना सीखे।
उसको होशियार बताती है फ़क़त ये दुनिया,
जो इशारों में उसे नाच नचाना सीखे।।
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