हम हिन्दी भाषी नहीं हैं हम अपनी तमिल, तेलगु, मलयालम आदि भाषाओं के पक्षधर हैं क्योंकि हमारी क्षेत्रीयता हमारे नेता के वोट बैंक की जड़ है। हम अंग्रेजी सीख सकते हैं पर हिन्दी नहीं। अगर हम अपनी मातृभाषा के अलावा राष्ट्र भाषा को ठीक से बोलने समझने लगे तो हमारे छुटभैये नेता भूखे मर जायेंगे। हम बहुत संवेदनशील हैं। हमारे नेताओं ने हमें संवेदनहीन होने से बचाया है।
हम हिन्दी की फिल्में पसंद करते हैं, हिन्दी फिल्मों के शानदार अभिनेताओं पर हम भी फ़िदा हैं और हॉट अभिनेत्रियों के हम भी दीवाने हैं हालाँकि दीवाने तो हम विदेशी सिंगर्स और स्टार्स के भी हैं जिनके गाने कभी हमारी समझ नहीं आते, बस उल्टा सीधा गाने में अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं, ये तो कोई बुरी बात नहीं।
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन हमारे लिये भी उतने ही महान हैं जितने आपके लिये , KBC के सारे शो देखते हैं, कसम से बहुत मज़ा आता है, कभी कभी हमारी तरफ़ के लोग भी वहां करोड़पति बन जाते हैं, क्या पता कभी हमारे बच्चे भी वहाँ पहुँचे, सदियों की गरीबी दूर हो जाये।
बहु राष्ट्रीय कंपनियों के लगभग सारे विज्ञापन हिन्दी में ही दिखाए जाते हैं, नए उत्पादों के बारे में जानने के लिये देखते हैं। देश के ज्यादातर प्रधानमंत्री भी अब हिन्दी में बोलते हैं, तो क्या, सुनते हैं! ऐसा थोड़ी है कि हमें हिन्दी बिल्कुल नहीं आती, बोल न पाएं पर समझते तो हैं हीं, बाज़ार में सामान बेचने भर की सारी भाषाएं जानते हैं , पेट पालना भी कोई अहम जरूरत है।
अब हिन्दी राष्ट्रभाषा होनी चाहिये कि नहीं, ये हमाये नेता जी ही बता सकते हैं, हमें बस इतना हि पता है कि ऐसा होने से हमारा सम्मान कम पड़ जायेगा। अब सम्मान के लिये इतना तो करेंगे ही भई!
बहरहाल , हम हिन्दी भाषी हैं तो आज हिन्दी दिवस पर आप सबको शुभकामनाएँ तो दे ही सकते हैं
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