किसी का धर्म टोपी है, किसी का धर्म चोटी है।
सिंह का धर्म हिंसा है, श्वान का धर्म बोटी है।
करोड़ों ठग रहे हो तुम दुहाई धर्म की देकर ,
मैं भूखा हूँ, तो मेरा धर्म केवल एक, रोटी है।।”
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किसी का धर्म टोपी है, किसी का धर्म चोटी है।
सिंह का धर्म हिंसा है, श्वान का धर्म बोटी है।
करोड़ों ठग रहे हो तुम दुहाई धर्म की देकर ,
मैं भूखा हूँ, तो मेरा धर्म केवल एक, रोटी है।।”
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